शिवरात्रि: राशि के अनुसार मंत्रों का जाप करने से शिव होंगे प्रसन्न

पापों का नाश करने वाला मास शिवरात्रि व्रत इस बार 23 जनवरी को है। ज्योतिषियों के अनुसार जातक राशि के मुताबिक इस लेख में दिए गए मंत्रों का जाप करके देवों के देव महादेव शिव को प्रसन्न कर सकते हैं। मान्यता है कि शिवरात्रि को सभी चल या अचल शिवलिंग में भगवान शिव की शक्ति का संचार होता है।
स्कन्दपुराण में कहा गया है कि शिवरात्रि व्रत परात्पर है, इसके समान दूसरा कोई और व्रत नहीं है। नागर खंड में ऋषियों के पूछने पर सूतजी कहते हैं कि माघ मास की पूर्णिमा के उपरांत कृष्णपक्ष में जो चतुर्दशी तिथि आती है, उसकी रात्रि ही शिवरात्रि है। उस समय शिव समस्त शिवलिंगों में संक्रमण करते हैं। कलियुग में यह व्रत सब पापों का नाश कर मनोकामनाएं पूर्ण करता है। जो चल या अचल शिवलिंग हैं, उन सबमें उस रात्रि भगवान शिव की शक्ति का संचार होता है। तभी इसे शिवरात्रि कहा गया है। इस दिन उपवास रखते हुए शिव को पुष्प इत्यादि अर्पित करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह पर्व सत्य और शक्ति दोनों को पोषित करता है। समस्त देवी देवताओं पर कृपा बरसाने वाले भगवान शिवजी को इस दिन राशि अनुसार मंत्र जाप करके प्रसन्न कर सकते हैं।
मेष: ऊं ह्रीं अधोक्षजाय साम्ब सदाशिवाय नम:।
अभिषेक सामग्री- केसर दूध।
वृषभ: ऊं ह्रीं अम्बिका नाथाय साम्ब सदाशिवाय नम:।
अभिषेक सामग्री- मिश्री युक्त दूध।
मिथुन: ऊं ह्रीं श्रीकंठाय साम्ब सदाशिवाय नम:।
अभिषेक सामग्री- गन्ने का रस।
कर्क: ऊं ह्रीं भक्तवत्सलाय साम्ब सदाशिवाय नम:।
अभिषेक सामग्री-गाय का दूध।
सिंह: ऊं ह्रीं पिनाकिने साम्ब सदाशिवाय नम:।
अभिषेक सामग्री- अनार का रस।
कन्या: ऊं ह्रीं शशि शेखराय साम्ब सदाशिवाय नम:।
अभिषेक सामग्री-बेल का शर्बत।
तुला: ऊं ह्रीं शम्भवाय साम्ब सदाशिवाय नम:।
अभिषेक सामग्री- नारियल पानी।
वृश्चिक: ऊं ह्रीं वामदेवाय साम्ब सदाशिवाय नम:।
अभिषेक सामग्री-पंचामृत।
धनु: ऊं ह्रीं सध्योजाताय साम्ब सदाशिवाय नम:।
अभिषेक सामग्री- गुलाब जल।
मकर: ऊं ह्रीं नील लोहिताय साम्ब सदाशिवाय नम:।
अभिषेक सामग्री-काले अंगूर का रस।
कुम्भ: ऊं ह्रीं कपर्दिने साम्ब सदाशिवाय नम:।
अभिषेक सामग्री- मोगरे का इत्र।
मीन: ऊं ह्रीं विष्णु वल्लभाय साम्ब सदाशिवाय नम:।
अभिषेक सामग्री-बेलपत्र और दूध।
शिवरात्रि की प्रचलित व्रत कथाएं
‘शिवरात्रि’ के विषय में भिन्न-भिन्न विद्वानों के अलग-अलग मत हैं, कुछ विद्वानों का मत है कि आज के ही दिन शिवजी और माता पार्वती विवाह-सूत्र में बंधे थे जबकि अन्य कुछ विद्वान् ऐसा मानते हैं कि आज के ही दिन शिवजी ने ‘कालकूट’ नाम का विष पिया था जो सागरमंथन के समय समुद्र से निकला था। ज्ञात है कि यह समुद्रमंथन देवताओं और असुरों ने अमृत-प्राप्ति के लिए किया था। इसके साथ ही एक शिकारी की कथा भी इस त्योहार के साथ जुड़ी हुई है कि कैसे उसकी अनजाने में की गई पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उस पर अपनी असीम कृपा की थी, यह कथा पौराणिक ‘शिव पुराण’ में भी संकलित है।
पूजन विधि
शिवरात्रि के दिन साधक को सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। इसके बाद स्नान आदि दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर ईश्वर की आराधना करनी चाहिए। सबसे पहले घी, दूध, दही, चंदन, शहद, गंगाजल आदि को लेकर शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद धतूरा, बेल पत्र, दूब, भांगपत्र चढ़ाएं। इसके अलावा फल और मिठाई अर्पण करें। भगवान को चढ़ाए हुए फल और मिठाई साथ न ले जाएं। पूरे दिन उपवास रखें और भगवान शिव का ध्यान रखते हुए दिन बिताएं। शिव साधक को शिवरात्रि को पूरी रात जागना चाहिए और भगवान शिव की माता पार्वती के साथ पूजा करनी चाहिए। अगले दिन स्नान आदि करके शिव जी की पूजा अर्चना करें और दान पुण्य करके व्रत का समापन करें।
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