लॉकडाउन के दौरान राहत साम्रगी बांटने पर नहीं होगी एफआईआर!

Malay, Last updated: Thu, 16th Apr 2020, 2:56 PM IST
राजधानी पटना के अलग-अलग इलाकों में तैयार भोजन बांटने वालों पर प्रशासन की नजर है। सामाजिक संस्थाओं के साथ-साथ स्थानीय प्रतिनिधियों के बीच एक अफवाह प्रसारित की जा रही है। खाद्य सामग्री बांटते हुए यदि...
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राजधानी पटना के अलग-अलग इलाकों में तैयार भोजन बांटने वालों पर प्रशासन की नजर है। सामाजिक संस्थाओं के साथ-साथ स्थानीय प्रतिनिधियों के बीच एक अफवाह प्रसारित की जा रही है। खाद्य सामग्री बांटते हुए यदि प्रशासन की टीम पकड़ती है तो एफआईआर दर्ज कर दिया जाएगा। लेकिन जिला प्रशासन की ओर से इस तरह का कोई आदेश नहीं दिया गया है। यदि स्थानीय लोग गरीबों की मदद करना बंद कर दें। इस संबंध में अफसर बताते हैं कि गर्मी के समय में अधिक देर तक खाना पड़े रहने से खराब हो जाता है। इसके खाने से लोग बीमार पड़ सकते हैं। इसे लेकर कई बार संस्थानों को चेताया जा रहा है। साथ ही मौके पर पहुंच जिलाधिकारी और प्रमंडलीय आयुक्त भी इसकी गुणवत्ता की जांच कर रहे हैं।

खाद्य सामग्री पहुंचाने में परेशानी नहीं
जिला प्रशासन के अफसर बताते हैं कि पार्षद, विधायक, सांसद के अलावा स्थानीय स्तर पर जो भी संस्थान खाद्य सामग्री बांट रहे हैं। इससे बंदी के दौरान पूरे शहर में गरीबों को भोजन मिल रहा है। अनाज देने से लोग घरों में इसे पकाकर खा रहे हैं। इस पर किसी तरह की पाबंदी नहीं है।

इसलिए बढ़ी समस्या
प्रमंडलीय आयुक्त के साथ बैठक में पटना पूर्वी के एक थानेदार ने सोशल डिस्र्टेंंसग कराने से इंकार कर दिया। उन्होंने अफसरों के सामने ही बताया कि पुलिस खाना बांटने में लगी हुई है। उनके पास लोगों पर सामाजिक दूरी बनाने के लिए फोर्स की कमी है। सभी कर्मचारियों की मौजदूगी इसी में होने की बात कह रहे हैं। ऐसे में प्रमंलीय आयुक्त संजय अग्रवाल ने आदेश जारी किया है कि पुलिस का मुख्य काम सुरक्षा देना और अस्पताल का इलाज देना है। पहले इसे बखूबी निभाएं। इसके बाद बचे समय में भोजन बांटने की अनुमति है।

हर दिन 250 पैकेट खाद्य सामग्री बांटा जा रहा है। रात आठ बजे के बाद भी गरीबों के घर जाते हैं। लेकिन एफआईआर की बात से इसे रोकना पड़ा। अब फिर से शुरू करेंगे। 
-चांद खान, सामाजिक कार्यकर्ता, समनपुरा

अपने घर के अनाज से हर दिन 50 लोगों को भोजन करा रहे हैं। पुलिस कार्रवाई की बात सुनकर पीछे हटना पड़ा। अब फिर से शुरू कर रहे हैं। 
-मनोज कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता

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