पटना नगर निगम: बिना ईओ के कैसे होगी नाला उड़ाही

Malay, Last updated: Thu, 20th Feb 2020, 1:07 PM IST
वर्ष 2019 में जिस वजह से पटना डूबा, उसने चार अफसरों को निलंबन के कगार पर पहुंचा दिया। अब इसवर्ष निगम के चार अंचलों में फिर से अफसर ही नहीं हैं।  ऐसे में नाला उड़ाही कैसे हो, यह एक बड़ा सवाल बन गया...
पटना नगर निगम

वर्ष 2019 में जिस वजह से पटना डूबा, उसने चार अफसरों को निलंबन के कगार पर पहुंचा दिया। अब इसवर्ष निगम के चार अंचलों में फिर से अफसर ही नहीं हैं।  ऐसे में नाला उड़ाही कैसे हो, यह एक बड़ा सवाल बन गया  है। अंचल के कर्मचारी और दूसरे अधिकारी बताते हैं कि मुख्य भूमिका निभाने वाले कार्यपालक पदाधिकारी ही नहीं हैं, तो नाला सफाई और दूसरी व्यवस्था को कौन देखे। हालांकि इस स्थिति में नाला उड़ाही का कार्य तो होगा, लेकिन वह खानापूर्ति से कम नहीं होगा।

जांच टीम की रिपोर्ट पर हुए निलंबित
10 जनवरी को पाटलिपुत्र अंचल के ईओ मनीष कुमार को जलजमाव के मामले में निलंबित करते हुए उप नगर आयुक्त नुरूल हक शिवानी को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। इनका एक साथ दो स्थानों पर कार्यभार देखना भी चुनौती से कम नहीं है। वहीं दूसरी ओर, बांकीपुर अंचल के कार्यपालक पदाधिकारी बीके तरूण और नूतन राजधानी अंचल के कार्यपालक पदाधिकारी शैलेष कुमार को 13 जनवरी को जलजमाव के मामले में ही सरकार की जांच टीम की रिपोर्ट पर निलंबित किया गया था।

नागरिक सुविधाएं होने लगी प्रभावित
कार्यपालक दाधिकारी पूनम कुमारी के मुख्यालय पदास्थापना के बाद शैलेष कुमार को  कंकड़बाग अंचल का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। ऐसे में एक अंचल में कार्यपालक पदाधिकारी के स्थाई तैनाती और तीन अंचलों में किसी कार्यपालक पदाधिकारी के नहीं होने की वजह से लगभग सभी नागरिक सुविधाएं प्रभावित होने लगी हैं। निगम के अंचल कार्यालयों में साफ-सफाई से लेकर कचरा उठाव और यहां तक की नाला उड़ाही का काम प्रभावित होने लगा है। 

कुर्सी खाली, व्यवस्था होगी प्रभावित 
नियमितीकरण को लेकर कुछ दिन पहले दैनिक मजदूरों ने एक सप्ताह तक आंदोलन किया था। सफाई काम का बहिष्कार करने से शहर में कचरे का अंबार लग गया था। कर्मचारियों के आंदोलन के बाद शुरू हुए सफाई अभियान की निगरानी की जिम्मेदारी कार्यपालक पदाधिकारियों को दी गई। वहीं अब कुछ दिनों से अंचलों में कार्यपालक पदाधिकारियों की कुर्सी खाली पड़े रहने से व्यवस्था का प्रभावित होना, कचरा उठाव कार्य और सेकेंडरी प्वाइंट के जीरो किए जाने का प्लान खटाई में पड़ना तय है।

कार्यपालक पदाधिकारी के जिम्मे ये काम
- ब्लीचिंग पाउडर, चूना, फागिंग दवा खरीदी का वर्क आर्डर निकालना।
- छोटे नालों की सफाई के लिए जरूरी संसाधनों की खरीदारी करवाना।
- बड़े नालों की सफाई के लिए पोकलेन और जेसीबी जैसी हैवी मशीन की जरूरत कार्यपालक पदाधिकारी के नेतृत्व में पूरी होती है। खर्च से लेकर देखरेख का कार्य कार्यपालक पदाधिकारी के जिम्मे है।
- नाला, ड्रेनेज, मेनहोल, चेंबर की सफाई कितनी हो रही है इसकी जांच करना। 
- वार्डों से कचरा उठाव और सड़कों की सफाई की निगरानी का कार्य भी ये देखते हैं।
- कर्मचारियों का वेतन भुगतान कार्यपालक पदाधिकारी के हस्ताक्षर के बाद ही किया जाता है।
- अन्य आवश्यक उपकरण और संसाधनों की खरीदारी कार्यपालक अधिकारी की देखरेख में ही होती है। 

15 फरवरी से शहर के नालों की सफाई शुरू हो जाया करती थी
हरसाल 15 फरवरी से शहर के सभी बड़े और छोटे नालों की सफाई शुरू हो जाया करती थी। हालांकि इसवर्ष कार्यपालक पदाधिकारियों की गैर मौजूदगी की वजह से अबतक नाला उड़ाही पर कोई भी प्लान नहीं बन सका है। ऐसे में कार्य बरसात तक जारी रहेगा इसमें कोई दो राय नहीं है। अभी तो नगर प्रबंधक से लेकर मुख्य सफाई निरीक्षक तक नये कार्यपालक पदाधिकारी के तैनाती की बाट जोह रहे हैं। इधर, अंचलों में ब्लीचिंग पाउडर, चूना, मच्छररोधी दवा आदि का स्टॉक भी खत्म होने के कगार पर है। ऐसे में कार्यपालक पदाधिकारी की गैर मौजूदगी की वजह से शहर की साफ-सफाई व्यवस्था और जनता की सुविधा के लिए किसी भी सामान की खरीदारी नहीं हो पा रही है। करीब 10 लाख की आबादी को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करा पाने में अलग-अलग अंचल कार्यालय अक्षम साबित होने लगे हैं।

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