ऑनलाइन काउंसिलिंग: बिगड़ते रिश्तों को सुधारने में मददगार बन रहे मोबाइल एप
कहते हैं बात करने से बात बनती है। लाख झगड़े क्यों न हो जाएं, लेकिन एक बार बात कर लेने से हर मसले का हल निकाला जा सकता है। महिला थाना स्थित महिला विशेष कोषांग में 85 से 90 प्रतिशत मामले काउंसिलिंग से सुलझाए जाते हैं। यहां रोजाना आधा दर्जन से अधिक ऐसे मामले आते हैं, जिनकी काउंसिलिंग कराई जाती है। इसके अलावा आजकल पति-पत्नी के रिश्तों को बनाए रखने के लिए मोबाइल एप से ऑनलाइन काउंसिलिंग भी जोर पकड़ रही है।
केस 1
शादी के बाद भी मिलते थे पति-पत्नी चोरी-छिपे
तीन साल के प्रेम विवाह के बाद मायके वालों ने साथ छोड़ दिया तो पति ने पहल करके पत्नी को अपने घरवालों से मिलवाया। लाख मनुहार के बाद मायके वाले जब मान गए तो पत्नी को कुछ दिन वहां रहने के लिए दिया। रिश्ते सामान्य हुए, लेकिन सास ने बेटी को जाने नहीं दिया। मां-बाप की मर्जी के खिलाफ प्रेम विवाह कर लेने के कारण सास ने महिला थाने में केस दर्ज करवाया। बेटी ने भी मां को कष्ट नहीं पहुंचाने के कारण बाउंड पेपर पर साइन कर दिया, पर काउंर्सिंलग के दौरान उसकी आंखें भर आईं। उसने अपनी बात रखी और कहा कि मां को संतुष्ट करने के लिए महिला थाने में उसने मारपीट का झूठा केस दर्ज कराया। मामले को काउंर्सिंलग से सुलझाया गया और तलाक होने से बच गया।
केस 2
दूसरी शादी कराई तो गुहार लगाने पहुंचा पति
एक दूसरे को पसंद करके प्रेम विवाह किया, लेकिन घर वालों के नहीं मानने के कारण शहर से दूर रहने लगे। घटना खगौल के एक पति-पत्नी की है, जिन्होंने चार साल तक परिवार वालों को मनाया, लेकिन नहीं माने। धीरे-धीरे जब संबंध सुधरे तो मायके वालों ने लड़की की शादी दूसरी जगह जोड़ दी। इधर परेशान पति को जब यह बात पता चला तो उसके पांव के नीचे की जमीन खिसक गई। मामला महिला थाना में दर्ज कराया गया, जिसके बाद पत्नी ने पति के साथ रहने की बात कही। इसके बाद मायके वालों को समझा-बुझा कर दोनों को घर भेजा गया।
ऑनलाइन काउंसलिंग एप बन रहा मददगार
पति-पत्नी के रिश्ते में नोंक-झोक, ब्रेकअप और रिलेशनशिप के तमाम मसले आजकल ऑनलाइन काउंसिलिंग के जरिये लोग सुलझा रहे हैं। काउंसलर वीडियो कॉल, चैट और टेक्स्ट मैसेज के जरिये रिश्तों को मजबूत कर रहे हैं। छोटी-मोटी तकरार के कारण रिश्तों में आ रहे दरार हों या फिर ब्रेकअप हो जाने के बाद उससे बाहर निकलने की कवायद, ये लोगों को नर्ई जिंदगी दे रहे हैं। ऐसे तमाम मोबाइल एप और वेबसाइट हैं, जिनकी लोग सहायता ले रहे हैं। इनमें बेटर हेल्प, रिगेन, टॉक स्पेस प्रमुख ऑनलाइन काउंसिलिंग एप हैं।
महिला थानाध्यक्ष आरती जायसवाल ने बताया कि हमारे यहां रोजाना आधा दर्जन से अधिक मामले ऐसे आते हैं, जिनकी हम काउंसिलिंग करते हैं। छोटी-मोटी बातों से लेकर गंभीर मामले आते हैं, जिन्हें काउंर्सिंलग से सुलझाया जाता है।
महिला थाना की काउंसलर सुप्रिया ने बताया कि ऐसे मामले पारिवारिक होते हैं। हमलोग मामले की गंभीरता को देखते हुए कई बार काउंसिलिंग करते हैं, ताकि उनकी तह तक जा सकें और वास्तविकता का पता लगा सकें। 85 से 90 प्रतिशत मामले इससे सुलझ जाते हैं।
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