पटना के पानी में है दम

Malay, Last updated: Fri, 24th May 2019, 6:01 PM IST
राजधानी के गरीबों के लिए राहत भरी खबर है। जिन घरों में पानी फिल्टर करने वाली मशीनें नहीं हैं, या फिल्टर किया हुआ पानी खरीदकर नहीं पी रहे हैं, वह भी निश्चिंत रहें। वह यहां का पानी बिना फिल्टर किए भी...
प्रतीकात्मक तस्वीर

राजधानी के गरीबों के लिए राहत भरी खबर है। जिन घरों में पानी फिल्टर करने वाली मशीनें नहीं हैं, या फिल्टर किया हुआ पानी खरीदकर नहीं पी रहे हैं, वह भी निश्चिंत रहें। वह यहां का पानी बिना फिल्टर किए भी अगर पी रहे हैं तो कोई हर्ज नहीं है। पटना का पानी शुद्ध और स्वच्छ है। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग(पीएचईडी) की जांच रिपोर्ट से ऐसी ही सुकून भरी जानकारी मिली है। यहां के पानी में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों के अनुसार मिनरल (खनिज) पाए गए हैं, जो हमारी सेहत के लिए बहुत जरूरी होते हैं। 

100 फीसदी शुद्ध है पटना का पानी
पटना का भूजल सौ फीसदी शुद्ध है। इसका खुलासा पीएचईडी की जांच में हुआ है। पटना नगर निगम ने अपने ट्यूबवेल का पानी पीएचईडी की प्रयोगशाला में दिया था। ये सैंपल अप्रैल और मई में लिए गए थे। कुल 110 सैंपल की जांच हुई है। सभी सैंपल सही पाए गए हैं। इनमें डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुसार पानी की गुणवत्ता मिली है। इसमें भरपूर मात्रा में मिनरल हैं और पानी में कोई दूषित पदार्थ भी नहीं मिला है। यह सैंपल ढाई से तीन सौ फीट के ट्यूबवेल से लिए गए हैं। पटना के घरों में भी लगभग इतने ही नीचे से पीने का पानी लिया जाता है। 

पूर्व की जांच में भी सही मिला पानी
एक-डेढ़ साल पहले भी कुछ गैर सरकारी एजेंसियों ने पटना का भूजल जांचा था। उसमें भी यही बात सामने आई थी। विशेषज्ञों ने पटना के पानी को शुद्ध बताया था। पटना के भूजल को पीने के लिए किसी तरह की मशीन से शुद्ध करने की जरूरत नहीं है। उल्टे इससे नुकसान ही होता है क्योंकि इससे पानी में मौजूद मिनरल या तो कम हो जाते हैं या फिर नष्ट हो जाते हैं। मशीन से शुद्ध किए गए मिनरल रहित पानी को पीने से हड्डी संबंधी कई बीमारियां होने की आशंका रहती है। 

यूवी से साफ कर सकते हैं पानी
पीएचईडी के विशेषज्ञ डॉ. अजय उपाध्याय के मुताबिक, चूंकि पटना का पानी पूरी तरह शुद्ध है और इसमें मिनरल भी भरपूर हैं। ऐसे में इसे बिना फिल्टर किए भी पीया जाना चाहिए। खासकर यदि हैंडपंप का पानी पीते हैं तो किसी मशीन से इसे शुद्ध करने का प्रयास न करें। अन्यथा इसके मिनरल नष्ट हो जाएंगे। यदि पानी टंकी में स्टोर कर के पीते हैं तो उसकी समय-समय पर सफाई करते रहें। हो सके तो टंकी में ब्लीचिंग पाउडर डालते रहें। इससे बैक्टीरिया मर जाएंगे। यदि आपूर्ति वाला पानी पीते हैं तो इसके संभावित बैक्टीरिया को मारने के लिए अल्ट्रा वायलेट (यूवी) उपचार कर लें। यूवी मशीन बाजार में उपलब्ध है। यह काफी सस्ती भी होती है। डॉ. अजय उपाध्याय के मुताबिक लोग बिना जरूरत के पानी को रिवर्स ओसमोसिस पद्धति से शुद्ध करने का प्रयास करते हैं। यह उल्टे लोगों को बीमार बना रहा है। कम मिनरल वाला पानी पीने से जोड़ों में दर्द हो रहा है। हड्डियां भी कमजोर हो रही हैं। लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित हो गई है। 

जार का पानी घातक
गांवों में भी जार का पानी पीने का चलन बढ़ रहा है। यह हमारे लिए घातक है। जार का पानी बेचनेवाले लोग इसका पीएच मान कम कर देते हैं। ऐसे में पानी स्वाद में तो बेहतर लगता है लेकिन यह हमारे स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। डॉ. अजय उपाध्याय के मुताबिक कम पीएच का पानी हमारे खाने की नली को नुकसान पहुंचाता है। 

नगर निगम ने परखी आपूर्ति हो रहे पानी की शुद्धता
पटना नगर निगम ने अलग-अलग क्षेत्रों से अपनी बोरिंग से पानी के सैंपल लिए थे। नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक पंपिंग स्टेशनों से होने वाली जलापूर्ति की शुद्धता की जांच के लिए ऐसा किया गया था। रैंबो फील्ड, कृष्णापुरी, दीघा पंप, राजेंद्रनगर रोड, अगमकुआं थाना, मलाही पकड़ी, पुलिस कॉलोनी आदि पंपिंग स्टेशनों से पानी का सैंपल लिया गया था।

अप्रैल-मई में नगर निगम ने पानी के 110 सैंपल की जांच कराई थी। सभी सैंपल सही पाए गए। पटना का पानी पूरी तरह शुद्ध है। यहां के पानी में मिनरल भी मानक के अनुसार पाए गए। 
-नित्यानंद प्रसाद, कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी, पूर्वी

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