शंकर से हारे शत्रु, राम से हारीं मीसा

Malay, Last updated: Fri, 24th May 2019, 6:19 PM IST
पटना की दोनों लोकसभा सीट पर एक बार फिर इतिहास दोहराया गई। 2014 की तरह 2019 में भी पटना साहिब से कांग्रेस व पाटलिपुत्र से राजद की हार हुई है। दोनों सीटों पर फिर कमल खिला है। आपको बता दें कि पूरे देश...
रविशंकर प्रसाद और रामकृपाल यादव

पटना की दोनों लोकसभा सीट पर एक बार फिर इतिहास दोहराया गई। 2014 की तरह 2019 में भी पटना साहिब से कांग्रेस व पाटलिपुत्र से राजद की हार हुई है। दोनों सीटों पर फिर कमल खिला है। आपको बता दें कि पूरे देश की नजर पटना साहिब सीट पर थी, क्योंकि यहां से पहली बार शत्रुघ्न सिन्हा भाजपा छोड़कर कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे थे। पार्टी बदलते ही शॉटगन खामोश हो गए। कानून मंत्री रहे भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने उन्हें हैट्रिक लगाने से रोक दिया है। 10 साल से शत्रुघ्न ही पटना के साहिब थे। 2014 लोकसभा में शत्रुघ्न सिन्हा ने कांग्रेस के कुणाल सिंह को 2,65,805 वोटों से हराया था। वहीं पाटलिपुत्र से राजद की मीसा भारती एक बार फिर भाजपा के रामकृपाल से हार गईं। पिछले लोकसभा में भी रामकृपाल ने ही मीसा को 40,322 वोटों से हराया था। 

नोटा से पीछे रह गए कई उम्मीदवार 
17वीं लोकसभा में पटना साहिब से 18 उम्मीदवार व पाटलिपुत्र से 25 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। मतगणना के बाद जब उम्मीदवारों के वोट सामने आए तो उसमें एक चौंकाने वाली बात भी सामने आई। पटना साहिब में 4907 लोगों ने नोटा बटन दबाया। वहीं पाटलिपुत्र  लोकसभा में 6131 लोगों ने नोटा बटन दबाकर चुनाव से अपनी असंतुष्टि दिखाई। 

जानिए सांसद जी को
रविशंकर प्रसाद का जन्म पटना में 30 अगस्त 1954 को हुआ। उनके पिता ठाकुर प्रसाद पटना के नामचीन वकील थे। रविशंकर ने 1970 में इंदिरा गांधी सरकार के विरुद्ध छात्र नेता के रूप में राजनीतिक जीवन शुरू किया। वर्ष 2000 में राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए। केंद्रीय मंत्री व सर्वोच्च न्यायालय के वकील भी हैं। 

रामकृपाल यादव का जन्म 12 अक्टूबर 1957 को पटना जिले के साबरचक में हुआ। 1977 में छात्र राजनीति से शुरुआत की। पार्षद और उप महापौर रहे। 1992 में बिहार विधान परिषद के सदस्य बने। एक साल बाद लोकसभा चुनाव लड़े और जीत गए। 2014 में पाटलिपुत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते, मंत्री भी बने।

देश नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है। देश में एक नई क्रांति हुई है। पश्चिम बंगाल में टीएमसी की हत्या व खौफ की हार हुई है। मैं आठ राज्यों का भाजपा प्रभारी रहा हूं, लेकिन इस बार जीत की अलग ही अनुभूति हो रही है। 
-रविशंकर प्रसाद, सांसद, पटना साहिब

मैं जीत के लिए रविशंकर प्रसाद, अमित शाह व पीएम नरेंद्र मोदी को बधाई देता हूं। हार के बावजूद पटना साहिब की जनता की सेवा के लिए तत्पर रहूंगा। मैंने स्वेच्छा से भाजपा नहीं छोड़ी थी, सभी जानते हैं कि किन परिस्थितियों में भाजपा छोड़नी पड़ी, पर अफसोस नहीं है।
-शत्रुघ्न सिन्हा, कांग्रेस उम्मीदवार, पटना साहिब

इस बार की लड़ाई महल में रहने वाले और झोंपड़ी में रहने वालों के बीच थी। मुझे हराने के लिए धन-बल व माफियाओं का इस्तेमाल हुआ, पर जनता ने इन्हें मुंहतोड़ जवाब देकर मुझे जिताया। 
-रामकृपाल यादव, सांसद, पाटलिपुत्र

मैं हार से निराश नहीं हूं।  हमने जोरदार टक्कर दी है। दरअसल समूचे देश में राष्ट्रवाद की हवा फैलाई गई, जिसके झांसे में जनता आ गई। हमारी सोच सही  है और हम लड़ाई को जारी रखेंगे। जीत या हार से कोई काम नहीं रुकता। 
- मीसा भारती, राजद उम्मीदवार, पाटलिपुत्र  

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