यहां मछलियों की सेहत संग तालाब की मिट्टी और पानी की भी होगी जांच
कहावत है कि एक मछली पूरे तालाब को गंदा करती है, लेकिन अब यह कहावत मछलियों के लिए चरितार्थ नहीं होगी। एक बीमार मछली पूरे तालाब की मछलियों को बीमार न बनाएं इसके लिए सरकारी की बड़ी तैयारी है। पटना में प्रदेश का पहना प्रयोगशाला बनाया जा रहा है जहां मछलियों के सेहत के साथ तालाब की मिट्टी और पानी की भी जांच होगी। अभी मछलियों में बीमारी और तालाब के मिट्टी पानी की जांच नहीं होने से प्रदेश मछली पालन में फिसड्डी था। राष्ट्रीय मत्सकीय विकास बोर्ड कृषि मंत्रालय भारत सरकार ने पटना में प्रदेश का पहला एक्वा-वन जांच लैब की स्थापना की हैं। पटना में तैयार लैब बहुत जल्द प्रदेश के मछली पालन करने वालों के लिए काम करने लगेगा। इस नई व्यवस्था से आने वाले दिनों में बड़ी क्रांति आएगी।
दो सेंटर के लिए चालीस लाख का बजट
राष्ट्रीय मत्सकीय विकास बोर्ड कृषि मंत्रालय भारत सरकार ने बिहार में एक्वा-वन लैब बनाने को लेकर चालीस लाख रुपए दिए हैं। इस प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों का कहना है कि प्रदेश में दो लैब बनाए जा रहे हैं। इसमें एक पटना के हड़ताली मोड पर है और दूसरा मधुबनी जिले में बनकर तैयार है। दोनों लैब में जांच की पूरी व्यवस्था होगी यहां मछली पालकों को नि:शुल्क सेवा दी जाएगी। यहां चार वैज्ञानिक और चार वाहन होंगे। वैज्ञानिक सूचना पाकर संबंधित तालाब और पोखरे के पास जाएंगे वहां मछलियों की बीमारी के साथ तालाब पोखर के पानी व मिट्टी की भी जांच करेंगे।
संघ चलाएगा प्रयोगशाला
सरकार ने इस बार प्रयोगशाला को लेकर भी बड़ा प्रयोग किया है। एक्वा-वन प्रयोगशाला को संचालित कराने की जिम्मेदारी बिहरा राज्य मतस्यजीवी सहकारी संघ कॉफ्फेड को दी है। इस प्रयोगशाला के माध्यम से मदुवारों को उत्तम गुणवत्ता के बीज मिलेंगे साथ ही जांच की भी विशेष व्यवस्था होगी। इसमें जयंती रोहू, एडवांस कतला और अमूर कार्प को विशेष श्रेणी में रखा गया है। यह बीज मछुवारों को नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाएगा। इतना ही नहीं इस प्रयोगशाला के माध्यम से ही एनएफडीबी की सारी योजनाएं भी संचालित की जाएंगी। बायोफ्लाक विधि से मछली पालन की जानकारी के साथ ही मछली पालन की आधुनिक पद्धति बताया जाएगा।
देश में अव्वल है पटना का लैब
कॉफ्फेड का कहना है कि देश में भारत सरकार ने ऐसे 125 एक्वा-वन जांच लैब की स्थापना की है। इसमें पटना का लैब नंबर एक पर है। इसके लिए बिहार राज्य मत्स्यजीवी सहकारी संघ लिमिटेड कॉफ्फेड के प्रबंध निदेशक व फिश्कोफेड नई दिल्ली के निदेशक ऋषिकेश कश्यप को पुरस्कृति भी किया गया है। बताया जा रहा है पटना में बनाए गए लैब की साज सज्जा और व्यवस्था देश के अन्य लैब से अलग करती है। पटना में जो व्यवस्था दी गई है इससे मछली पालन को नई दिशा मिलेगी।
ऐसे प्रभावित हो रहा प्रदेश
जानकारों का कहना है कि बिहार में 6.20 लाख मिट्रिक टन मछली की डिमांड है लेकिन उत्पादन आधे से कम हो पाता है। ऐसे में मछली बाहर से लाई जाती हैं। उत्पादन कम होने का सबसे बड़ा कारण है मछलियों की बीमारी और तालाब के मिट्टी पानी की जांच नहीं हो पाना। एक मछली बीमारी होती है तो पूरा तालाब संक्रमित हो जाता है। ऐसे में एक्वा-वन प्रयोगशाला में मछलियों की समय से जांच कराने से इस समस्या का समाधान हो जाएगा। जानकारों का कहना है कि बीमारी इतनी तरह की होती है जिससे किसान पालकों का पूरा बजट की गड़बड़ा जाता है। जांच सेंटर की स्थापना के बाद अब बड़ी राहत होगी।
पटना में प्रदेश का पहला एक्वा-वन यानि प्रयोगशाला बनाया गया है जहां मछलियों की बीमारियों से लेकर तालाब पोखर के मिट्टी व पानी की जांच होगी। इस प्रयोगशाला से प्रदेश में मछली पालन के क्षेत्र में क्रांति आएगी। दूसरा जांच केंद्र मधुबनी में भी बनाया जा रहा है। - - ऋषिकेश कश्यप, प्रबंध निदेशक, कॉफ्फेड
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