वसंत आयो रे: पतझड़ व कोपल की अनोखी ऋतु
मां सरस्वती की पूजा के साथ वसंत ऋतु का आगमन हो गया। इस ऋतृ को अन्य मौसम की अपेक्षा श्रेष्ठ माना गया है। आम के पेड़ों पर आए बौर, खेतों में सरसों के फुल, हरियाली से ढंकी धरती और गुलाबी ठंड इस ऋतृ को खास बनाती है। इस मौसम में कड़ाके की ठंड के बाद गुनगुनी धूप, स्नेहिल हवा सुकून देती है। तापमान न अधिक ठंडा, न अधिक गर्म। पटनावासी भी इस ऋतु का आनंद ले रहे हैं। कोई सरसों के बाग में फोटो सेशन करवा रहा है, तो पार्क में धूप का आनंद ले रहा है। हर किसी के चेहरे पर खुशी है। मनोचिकित्सव डॉ. विवेक विशाल बताते हैं कि इस ऋतु में लोगों का चिड़चिड़ापन कम हो जाता है। जल्दी गुस्सा भी नहीं आता। हर कोई एक-दूसरे से प्रेम भाव के साथ रहता है। दरअसल, वसंत ऋतु एक भाव है जो प्रेम में समाहित हो जाता है। एक पौराणिक कहानी के अनुसार, वसंत कामदेव के मित्र हंै, इसलिए कामदेव का धनुष फूलों का बना हुआ है। इस धनुष की कमान स्वरविहीन होती है। यानी जब कामदेव कमान से तीर छोड़ते हैं तो उसकी आवाज नहीं होती है। कामदेव का एक नाम ‘अनंग’ है यानी बिना शरीर के यह प्राणियों में बसते हैं। एक नाम ‘मार’ है यानी यह इतने मारक हैं कि इनके बाणों का कोई कवच नहीं है। वसंत को प्रेम की ही ऋतु माना जाता रहा है। इसमें फूलों के बाणों से आहत हृदय प्रेम से सराबोर हो जाता है। कहा तो यह भी जाता है कि अंग्रेजों ने इस माह के महत्व को समझा और प्रेम का इजहार करने के लिए इस महीने को चुना। यही वजह है कि सात से 14 फरवरी तक वेलेंटाइन वीक मनाया जाता है।
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