टीबी पीड़ितों से फोन कर पूछा जाएगा हाल
टीबी के मरीजों की मॉनिटरिंग इलाज के दौरान ही नहीं, बल्कि बाद में भी की जाएगी। खानपान से लेकर उनके रहन-सहन और कामकाज पर भी स्टडी की जाएगी। टीबी पीड़ितों के आसपास के मोहल्लों में भी विभाग की टीम पड़ताल करेगी और इसकी जद में स्वस्थ लोगों को आने से बचाने को लेकर भी विशेष मुहिम चलाई जाएगी। क्षय रोग विभाग में बजट आने के बाद से ही मंथन शुरू हो गया हैै।
टीबी को लेकर पटना ही नहीं, बल्कि पूरा प्रदेश काफी संवेदनशील है। हर साल बड़ी संख्या में लोग क्षय रोग से ग्रसित होते हैं। ऐसे मरीजों की सेहत टूट जाती है और काफी दिनों तक उनका कामकाज भी प्रभावित हो जाता है। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि टीबी को मात देने के लिए इस बार कई योजनाएं बन रही हैं। मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो इसके लिए काम किया जाएगा। इसके लिए कई ऐसी योजना बनाई जा रही है कि मरीजों की संख्या बढ़ने नहीं पाए, इसके लिए जागरुकता को लेकर भी काम किया जाएगा। हालांकि पूर्व में भी ऐसी योजना थी । इसबार टीबी मरीजों की स्थिति जानने के लिए उनसे फोन कर संपर्क भी किया जाना है, ताकि उनकी मॉनिटरिंग हो सके।
पटना के लिए टीबी बड़ी चुनौती
पटना के कई ऐसे मोहल्ले हैं, जहां अचानक से टीबी के मरीज सामने आए। वर्ष 2018 में नौ ऐसे मोहल्लों को चिन्हित किया गया, जहां टीबी के मरीजों की संख्या अचानक से बढ़ गई। ऐसे मामले फिर न सामने आएं इसे लेकर जागरुकता प्रयास तेज कर दिया गया है। हर पांचवें घर में एक टीबी के मरीज का पाया जाना कहीं न कहीं से जिम्मेदारों की उदासीनता का मामला माना जा रहा था। ऐसे तथ्य भी सामने आए थे कि जिन मोहल्लों में टीबी तेजी से फैल रही है, वहां श्रमिकों की संख्या बहुत अधिक है।
आखिर कहां रह गई कमी
स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि जहां अभियान में कमी रह गई है वहां विशेष अभियान चलाया जाएगा। कहां चूक हुई, जिस कारण से मरीजों की संख्या बढ़ी, इस पर काम किया जा रहा है। पटना के सभी सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क दवाएं तो दी ही जा रहा हैं, इस बार निजी दवा की दुकानों में भी नि:शुल्क दवा को लेकर सख्ती बरती जाएगी। स्वास्थ्य विभाग की मानें तो इस बार कोशिश रहेगी प्राइवेट डॉक्टर भी सरकारी अस्पतालों में ही मरीजों को भेजेंगे, जिससे एक तरफ निजी अस्पतालों में दवा का भार कम होगा तो दूसरी तरफ मरीज की निगरानी भी होती रहेगी।
स्वच्छता संग जागरुकता
टीबी पर काम करने वाले विभाग के पदाधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2020-21 में कई योजनाओं पर काम किया जाना है। टीबी के बैक्टीरिया को मात देने के लिए इस बार स्वच्छता व जागरुकता पर विशेष जोर दिया जाएगा। इस बार टीबी के मरीजों के पोषण और बढ़ाया जा सकता है या फिर उन्हें अलग से कुछ दिया जा सकता है। कई प्रदेशों में ऐसा प्रयोग के तौर पर चलाया भी गया। ऐसे में उम्मीद है कि पटना व प्रदेश के अन्य प्रभावित जिलों में भी कुछ नया किया जा सकता है।
टीबी मुक्त बिहार को लेकर हर तरह से रणनीति तैयार की जा रही है। इसके लिए व्यापक तैयारी है। साफ-सफाई के साथ अन्य लोगों को जागरुक करने को लेकर भी काम किया जाएगा।
- डॉ मेजर के एन सहाय, राज्य टीबी विभाग
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