...जो आपकी भी फिक्र करें

Malay, Last updated: Mon, 16th Mar 2020, 3:47 PM IST
हम अक्सर सबको खुश रखने की कोशिश करते हैं। दूसरों की नजर में अपनी अच्छी छवि बनाए रखने की चिंता में लगे रहते हैं, लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि इस सारी कवायद में हमारी कितनी ऊर्जा, समय और भावनाएं बेकार...
प्रतीकात्मक तस्वीर

हम अक्सर सबको खुश रखने की कोशिश करते हैं। दूसरों की नजर में अपनी अच्छी छवि बनाए रखने की चिंता में लगे रहते हैं, लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि इस सारी कवायद में हमारी कितनी ऊर्जा, समय और भावनाएं बेकार चली जाती हैं। 

हम सब जानते हैं कि प्रेम मनुष्य का मूल भाव है, जिसके बिना जीवन की कल्पना नामुमकिन है। हम सब अपने दोस्तों, परिवार वालों और रिश्तेदारों से प्रेम करते हैं, लेकिन जिन्हें इतना प्यार करते हैं, क्या वे भी बदले में हमसे उतना ही प्रेम करते हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि हम प्रेमवश किसी ऐसे रिश्ते को अपनी भावनाओं से सींचने में लगे हुए हैं, जो पनपने के लिए तैयार ही नहीं हैं। दरअसल, जिन रिश्तों से सिवाय कष्ट और पीड़ा के कुछ हासिल नहीं होता, उनमें अपनी भावनाएं और ऊर्जा निवेश करने से बचने में ही समझदारी है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आप खुद को बदलना शुरू कर दें।  आपको केवल उन रिश्तों से ध्यान हटाने की जरूरत है, जो आपके तमाम प्रयासों के बावजूद सिवा कष्ट और पीड़ा के कुछ नहीं दे पा रहे हैं। 

मन का मिलना है जरूरी 
कभी-कभी हम समाज और रिश्तों के दबाव में आकर कुछ संबंधों को ढोते रहते हैं।  इनमें पारिवारिक संबंध, रिश्तेदार या दोस्त, कोई भी शामिल हो सकता है। रिश्ता वही प्रगाढ़ हो सकता है, जहां मन से मन मिलता है। ऐसे रिश्ते का कोई फायदा नहीं, जिसमें बात-बात पर कमतर या नीचा दिखाया जाए या सिर्फ काम पड़ने पर ही तवज्जो दी जाए। किसी मुसीबत के समय या किसी अप्रिय स्थिति से खुद को ठगा हुआ महसूस करने से बचाने के लिए अपनी ऊर्जा वहां लगाएं, जो दिल से आपकी कद्र करते हों। खुद को ज्यादा से ज्यादा ऐसे लोगों के साथ जोड़कर रखें, जो आपको चाहते हैं। 

शुरुआती झिझक से न घबराएं 
वैसे, यह रातों रात होने वाली चीज नहीं है। हो सकता है कि शुरुआत में किसी ऐसे रिश्ते को अपनी जिंदगी से दूर करने में आपको कुछ भावनात्मक उलझनों का सामना करना पड़े। मसलन, आपको बिन बुलाए भी हमेशा हर स्थिति में मदद के लिए उपलब्ध रहने की आदत है। लेकिन हो सकता है कि जब अगली बार ऐसी किसी स्थिति के लिए आप मौजूद न हों तो आपको याद भी न किया जाए। या फिर यदि दो-तीन बार आपने खुद फोन नहीं किया तो सामने वाले ने भी आपकी खोज-खबर लेने की जहमत नहीं उठाई।   बहुत हद तक संभव है कि इन बातों से आपको मानसिक कष्ट पहुंचे, लेकिन इसके लिए खुद को दोष न दें क्योंकि यह प्रेम नहीं था। यह सिर्फ एकतरफा लगाव था, जो धीरे-धीरे खत्म हो गया। 

अपनी ऊर्जा का करें सही इस्तेमाल 
हम सबको यह समझने की जरूरत है कि हमारे पास एक सीमित मात्रा में ही ऊर्जा होती है, जिसका सही या गलत दिशा में इस्तेमाल करना हमारे अपने विवेक पर निर्भर करता है। यह आपकी जिम्मेदारी नहीं बनती कि हमेशा लोगों को बचाएं या उन्हें सही और गलत के बीच का फर्क समझाएं। हो सकता है कि आपको अपने किसी संबंधी या प्रियजन की स्थिति देखकर दुख होता हो या बुरा लगता हो, लेकिन उनके जीवन को सुधारना आपकी जिम्मेदारी नहीं है।  यह उनकी अपनी जिम्मेदारी है। एक-दो कोशिश के बाद उन्हें उनके हाल पर छोड़ना ही बेहतर है। 

पहले दें खुद पर ध्यान 
हम जिनसे प्यार करते हैं, उनकी गलतियों को अनदेखा करते रहते हैं और हर समय उनके लिए खड़े रहते हैं। नतीजतन, सामने वाला कभी अपनी गलतियों से सबक नहीं लेता और बार-बार उन्हें दोहराता है। अपनी भावनात्मक ऊर्जा तथा समय उन पर खराब करें और ऐसे लोगों और रिश्तों पर ज्यादा ध्यान दें, इसकी बजाय बेहतर यह होगा कि अपने आप पर ध्यान दें और खुद को मानसिक रूप से मजबूत बनाएं। इसका सबसे अच्छा तरीका यह है कि जो लोग अपने आप को बदलना नहीं चाहते, उनसे धीरे-धीरे दूरी बना लें। क्योंकि जो अपने अंदर सुधार की इच्छा नहीं रखता है, उसे आपके होने या न होने से भी कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। जो लोग आपको लेकर उस तरीके की भावनाएं नहीं रखते, जैसा कि आप उनके बारे में सोचते हैं तो उनसे दूरी बनाए रखने में ही समझदारी है।

असर जल्द दिखेगा
जब आप इस बात को समझ लेंगे कि ताली दोनों हाथों से बजती है और रिश्ता वहीं फलता-फूलता है, जहां प्रेम और सम्मान समान होता है, तो यकीन मानिए कि आपका जीवन खुशनुमा हो जाएगा क्योंकि तब आपको किसी न फलने-फूलने वाले रिश्ते में अपनी ऊर्जा और समय नहीं लगाना पड़ेगा। जब आप इस बात तो समझ जाएंगे कि सबको अपने दम पर ही आगे बढ़ना होता है और किसी की उंगली पकड़ कर हमेशा नहीं चलाया जा सकता, तो आप तनावमुक्त रहने लगेंगे। इसलिए सिर्फ उन लोगों के संपर्क में रहें, जो आपसे प्यार करते हैं, आपके मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास में मददगार होते हैं। ऐसा करके आपको एक नहीं, कई तरह के सकारात्मक बदलाव महसूस होंगे। दरअसल, जीवन का सच यही है कि आप हमेशा सभी को खुश नहीं रख सकते और न ही प्रत्येक व्यक्ति आपको वैसा ही प्रेम कर सकता है, जैसा कि आप करें। इसलिए अपने जैसे लोगों के साथ जुड़ें और खुश रहें तथा दूसरों को भी खुश रखें।   

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