सुशांत राजपूत पटना FIR केस: कानूनी एक्सपर्ट की नजर में बिहार सही या मुंबई पुलिस

Smart News Team, Last updated: Mon, 3rd Aug 2020, 7:39 PM IST
  • सुशांत सिंह राजपूत की मौत को लेकर पटना में पिता के द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर और उसकी जांच को लेकर मुंबई में बिहार पुलिस की पड़ताल पर मुंबई पुलिस का असहयोग विवाद में आ गया है. जानते हैं क्या कहते हैं कानून के जानकार- कौन सही, कौन गलत.
सुप्रीम कोर्ट में 5 अगस्त को रिया चक्रवर्ती की याचिका पर सुनवाई है जिन्होंने पटना में दर्ज सुशांत सिंह राजपूत के पिता की एफआईआर को मुंबई ट्रांसफर करने की अपील की है.

पटना. बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत को लेकर पटना के राजीव नगर थाने में दर्ज एफआईआर की वजह से बिहार पुलिस और मुंबई पुलिस की तनातनी बढ़ती ही जा रही है. मुंबई पुलिस ने सुशांत की आत्महत्या को लेकर सुसाइड का यूडी (अप्राकृतिक मौत) केस दर्ज किया है जिसकी जांच-पड़ताल में बॉलीवुड सेलिब्रिटीज से लेकर सुशांत के परिवार तक करीब 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ हो चुकी है.

इस बीच पटना के राजीव नगर थाने में सुशांत के पिता कृष्ण किशोर सिंह की शिकायत पर बिहार पुलिस ने एफआईआर दर्ज करके अनुसंधान शुरू कर दिया है. इसमें सुशांत सिंह राजपूत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती समेत उनके परिजनों पर सुशांत को सुसाइड के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है. 

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पटना पुलिस की एक टीम मुंबई में पहले से थी जो लगातार मुंबई पुलिस से जांच में असहयोग की शिकायत कर रही थी. इसके बाद पटना से सिटी एसपी आईपीएस अफसर विनय तिवारी भेजे गए जिन्हें मुंबई पहुंचने के बाद कोरोना प्रोटोकॉल का हवाला देकर 14 दिन के लिए एक गेस्ट हाउस में क्वारंटाइन कर दिया गया है.

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बिहार पुलिस के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने आईपीएस विनय तिवारी को क्वारंटाइन करने पर ट्वीट किया है कि आग्रह के बाद भी उनको आईपीएस मेस में ठहरने की जगह नहीं दी गई और अब जबर्दस्ती क्वारंटाइन कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि तिवारी मुंबई पुलिस को बताकर गए थे इसलिए उनको क्वारंटाइन करना गैर-जरूरी है. वहीं मुंबई पुलिस के कमिश्नर परमबीर सिंह ने मीडिया से कहा है कि बिहार पुलिस को सहयोग नहीं देने का सवाल नहीं उठता, हम कानूनी तौर पर परख रहे हैं कि सुशांत सिंह राजपूत केस में उनका क्षेत्राधिकार बनता है या नहीं.

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सुशांत के पिता ने एक वीडियो जारी करके मुंबई पुलिस पर आरोप लगाया है कि 25 फरवरी को ही उन्होंने बांद्रा पुलिस को सूचित किया था कि उनके बेटे की जान खतरे में है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. 14 जून को सुशांत की मौत के बाद मैंने उनसे कहा कि वो मेरी 25 फरवरी की शिकायत के आरोपियों पर एक्शन लें लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई तब जाकर मैंने 40 दिन बाद पटना में एफआईआर दर्ज कराई है. उधर, बिहार विधानसभा में बीजेपी विधायक और सुशांत के रिश्तेदार एमएलए नीरज सिंह बबलू ने केस की सीबीआई जांच की मांग उठाई जिसका आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी समर्थन किया है.

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पटना में दर्ज एफआईआर को मुंबई ट्रांसफर कराने के लिए रिया चक्रवर्ती सु्प्रीम कोर्ट गई हैं जिस पर 5 अगस्त को सुनवाई है. रिया की अपील के खिलाफ सुशांत की फैमिली और बिहार सरकार ने अलग-अलग कैविएट दाखिल करके कोर्ट से आग्रह किया है कि इस मामले में उनका पक्ष सुने बिना कोई आदेश पारित ना किया जाए. 

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हिन्दुस्तान स्मार्ट ने पटना के राजीव नगर थाने में दर्ज एफआईआर की कानूनी वैद्यता और बिहार पुलिस की जांच को लेकर मुंबई पुलिस की बेरुखी पर सीआरपीसी और कानून के जानकार रिटायर्ड डीजीपी और पटना हाईकोर्ट के सीनियर वकीलों से बात की है.

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उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने इस विवाद पर कहा कि जो घटना हुई है और उसके पीछे के जो कारण हैं वो सारे महाराष्ट्र की सीमा के अंदर घटित हुए हैं. ये मामला पूरी तरह से महाराष्ट्र की पुलिस का है. बिहार पुलिस क्यों इसमें अनावश्यक दखल दे रही है ये मेरी समझ में नहीं आ रहा है. बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद कहते हैं कि अब जब विवाद हो गया है तो घटना के निष्पादन को ध्यान में रखते हुए वरीयतम न्यायालय को एक निर्णय दे देना चाहिए और अनुसंधान को आगे बढ़ना चाहिए.

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बिहार के ही पूर्व डीजीपी अशोक गुप्ता कहते हैं कि घटनास्थल मुंबई है लेकिन वहां कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है. पटना के राजीव नगर थाने में सुशांत के पिता की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कराई गई है इसलिए उसकी कानूनी मान्यता है. क्षेत्राधिकार के सवाल पर गुप्ता ने कहा कि शिकायत में एक भी चार्ज पटना का बनता है या घटना का कोई भी हिस्सा या सिरा पटना से जुड़ा है तो पटना पुलिस को पूरा अधिकार है कि वो एफआईआर ले और अनुसंधान करे.

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पूर्व डीजीपी अशोक गुप्ता ने ये भी कहा कि मुंबई पुलिस को बिहार पुलिस की जांच में सहयोग करना चाहिए और दोनों को मिलकर सच सामने लाना चाहिए. उन्होंने कहा कि केस को ट्रांसफर करने का मामला अब तो सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है इसलिए देखना चाहिए कि सर्वोच्च अदालत का क्या आदेश होता है.

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पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील विंध्याचल सिंह कहते हैं कि ये स्थापित कानून है एक घटना की दो एफआईआर नहीं होगी. सीआरपीसी में बहुत स्पष्ट है कि जहां अपराध हुआ हो या उसका असर हो वहां एफआईआर हो सकती है. उन्होंने कहा कि किसी क्राइम में सीरीज ऑफ एक्ट की स्थिति में अगर तीन चीजें हैं जो आपस में जुड़ी हैं और तीनों चीज तीन थाना क्षेत्र में हुई हैं तो एफआईआर तीन जगह नहीं होगी लेकिन तीनों में से कहीं भी एफआईआर हो सकती है.

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सुशांत सिंह राजपूत केस को लेकर विंध्याचल सिंह कहते हैं कि लीगली मुंबई पुलिस अभी जांच-पड़ताल की स्टेज में है जबकि पटना पुलिस अनुसंधान के स्टेज में है. सिंह ने कहा कि सुशांत की पिता की शिकायत में मुंबई के अलावा पटना, दिल्ली और हरियाणा का जिक्र है और ये सारी चीजें उसकी मौत से जुड़ी हैं इसलिए इस केस में इन चार में किसी भी जगह एफआईआर हो सकती है. उन्होंने कहा कि कॉज ऑफ एक्शन और बंडल ऑफ फैक्ट्स का कोई भी पार्ट पटना का है तो पटना में दर्ज केस मैंटेनेबल है.

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पटना हाईकोर्ट के सीनियर वकील और बिहार बार काउंसिल के सदस्य योगेश चंद्र वर्मा कहते हैं कि इस केस में तीन चीज है, एक तो सुसाइड है या मर्डर, दूसरा कि सुसाइड है तो एबेटमेंट किसने किया है और तीसरा 15 करोड़ के ट्रांसफर का मसला. तीनों ही घटना मुंबई में हुई है, घटना का कोई भी पार्ट बिहार में नहीं हुआ है इसलिए मेरी निजी राय ये है कि पटना पुलिस का क्षेत्राधिकार नहीं बनता है. बाहर की पुलिस लोकल पुलिस की मदद लेकर ही जांच करती है या गिरफ्तारी और जब्ती जैसे एक्शन लेती है.

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सीआरपीसी की धारा 166 की उप-धारा 4 और ए के हवाले से वर्मा कहते हैं कि बड़ा सवाल ये है कि अगर बिहार पुलिस को मुंबई में जांच करने का अधिकार नहीं है तो मुंबई पुलिस को भी ये अधिकार नहीं है कि वो जांच में सहयोग के आग्रह को नकार दे. सीआरपीसी में तो आम आदमी की ड्यूटी है कि जघन्य अपराध के केस में वो सूचना पुलिस को दे, पुलिस की जांच में मदद करे लेकिन मुंबई में तो पुलिस ही पुलिस को रोक रही है. जांच में बाधा डालना कानूनी दायित्व का निर्वहन नहीं है.

वर्मा ने कहा कि अब तो क्षेत्राधिकार का मामला सुप्रीम कोर्ट में उठाया जा चुका है तो वहीं से साफ होगा कि कौन सही है, कौन गलत. मेरी निजी राय है कि सुशांत सिंह राजपूत केस को सीबीआई को सौंप देना चाहिए.

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