धान के एक बोरे की कीमत 75 रुपये, सरकार दे रही 15 रुपये; हुआ 210 करोड़ रुपये का नुकसान

Uttam Kumar, Last updated: Sat, 18th Dec 2021, 9:56 AM IST
  • बोरे की दर में अनदेखी के कारण किसानों को एक क्विंटल धान बेचने के लिए 60 रुपया जेब से लगाने पड़ रहे है. दरअसल प्रति क्विंटल धान पर सरकार की तरफ से बोरे की खरीद के लिए मात्र 15 रुपये दिए जाते है जबकि किसानों की इसकी लागत 75 रुपये पड़ती है. 
(फाइल फोटो).

पटना. किसानों की मुश्किल कम नहीं हो रही है. किसानों के अनुसार सबसे पहले तो उनके फसल की सही कीमत नहीं मिल पाती. इसके बावजूद कभी खाद की किल्लत हो जाती है कभी फसल बेचने के लिए बोरा ही नहीं उपलब्ध हो पाता है. इसके साथ ही धान बेचने के लिए बोरे की दर तय करने में अनदेखी के कारण किसानों को प्रति क्विंटल धान पर 60 रुपया जेब से लगाना पड़ रह है. इस हिसाब से देखे तो पिछलें साल धान बेचने पर किसानों को 210 करोड़ रुपये का घाटा लगा है. 

दरअसल एजेंसी प्रति क्विंटल धान पैक करने के लिए बोरा की खरीदारी पर मात्र 15 रुपये देते है जबकि किसानों को इसकी लागत 75 रुपये से अधिक पड़ती है. एजेंसियों को सरकार भी इसी हिसाब से पैसा देती है. सरकारी रेट की बात करें तो एक क्विंटल धान खरीद पर एजेंसी को बोरा के लिए 25 रुपया मिलता है. जबकि बाजार में पुराने बोरे की कीमत 30 रुपया है. एक बोरे में 40 किलो ही धान आता है इस हिसाब से एक क्विंटल के लिए ढ़ाई बोरे की जरूरत पड़ती है.

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पुराने बोरे के दाम के अनुसार एक क्विंटल धान के लिए किसानों को 75 रुपया का बोरा खरीदना पड़ता है. लेकिन सरकार के तरफ से एजेंसी को एक क्विंटल धान पर मात्र 15रुपया मिलता है और 10 रुपया प्रति क्विंटल उन्हें मिल मालिकों से लेना का निर्देश है. लेकिन चावल मिल मालिकों की मनमानी इस कदर बढ़ गई है कि वह बोरे की कीमत नहीं देते हैं. ऐसे में यह सारा बोझ एजेंसियां किसानों पर ही डाल देती है लिहाजा किसान मजबूरी में अपनी जेब से खरीदते है.  

आंकड़े के अनुसार बोर की कीमत तय करने में अनदेखी के अनुसार पिछले वर्ष किसानों को 210 करोड़ का नुकसान उठाना पडा था. दरअसल पिछले साल लगभग 35.5 करोड़ टन धान की खरीद हुई थी. जिसके लिए कुल 8.75 करोड़ बोरे की जरूरत पड़ी थी. इसके लिए 262 करोड़ रुपये की जरूरत थी लेकिन सरकार की तरफ से इसके लिए मात्र 53.88 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे. इस प्रकार किसानों को कुल 210 करोड़ रुपये का नुकसान उठान पडा था. अगर धान की खरीद बढ़ती है है तो किसानों को और भी नुकसान उठाना पड़ सकता है. 

 

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