लोजपा के 'बंगले' पर लगा ताला, चाचा- भतीजे की लड़ाई में चुनाव चिन्ह हुआ फ्रीज
- चुनाव आयोग ने लोजपा पार्टी के नाम व चुनाव चिन्ह बंगले को फ्रीज कर दिया है. काफी समय से पार्टी पर अपने हक को लेकर लड़ रहे चिराग पासवान और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने आयोग को बिहार में होने वाले उपचुनाव से पहले पार्टी के नाम व चिन्ह को लेकर फैसला करने को कहा था. जिस पर आयोग ने अंतरिम आदेश दिया है.
पटना. पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद से उनके बेटे चिराग पासवान और भाई व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस के बीच पार्टी पर अपने कब्जे को लेकर तानातानी मची हुई है, इसी बीच चुनाव आयोग ने बड़ा एक्शन लिया है. आयोग ने लोक जनशक्ति पार्टी के चुनाव चिन्ह बंगले को फ्रीज कर दिया है. साथ ही दोनों दलों को चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल व पार्टी के नाम को इस्तेमाल न करने के भी आदेश दिए हैं. बता दें कि बिहार में होने वाले उपचुनाव को लेकर दोनों नेताओं ने चुनाव आयोग ने पार्टी के चिन्ह को लेकर चुनाव के नामांकन से पहले फैसले करने का आग्रह किया था. जिस पर आयोग ने अपना फैसला सुना दिया है.
तारापुर और कुशेश्वरस्थान सीटों पर उपचुनाव को लेकर दिया आदेश
बिहार में कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा क्षेत्रोंमें उपचुनाव होना है. जिसमें नामांकन करने की आखिरी तारीख 8 अक्टूबर है. जिसको देखते हुए चिराग गुट व पारस गुट ने चुनाव आयोग में चुनाव चिन्ह पर फैसला लेने का आग्रह किया था, ताकि वे अपने उम्मीदवार को लोजपा के नाम से प्रत्याशी बना सकें. आयोग ने अंतरिम आदेश देते हुए दोनों दल के बंगले चुनाव चिन्ह के उपयोग पर पांबदी लगा दी है.
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4 अक्टूबर तक आयोग ने मांगा पार्टी का नाम
चुनाव आयोग ने पाबंदी लगाने के साथ दोनों गुटों से 4 अक्टूबर तक उनकी पार्टी का नाम और चिन्ह देने को कहा है. जिसको लेकर वे तारापुर और कुशश्वेरस्थान पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में अपने प्रत्याशी उतार सकेंगे. हालांकि इस दौरान दोनों को ध्यान देना होगा कि उनका चुनाव चिन्ह किसी और पार्टी से न मिलता हो. दोनों दलों को प्राथमिकता के आधार पर तीन चिन्ह आयोग को देने होंगे, जिसमें आयोग उनको एक चिन्ह आवंटित करेगा.
लोजपा नाम का नहीं कर पाएंगे उपयोग
आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि दोनों गुट लोजपा नाम का उपयोग नहीं कर सकेंगे. हालांकि वो अपने गुट का नाम जोड़कर लोजपा का उपयोग कर सकते हैं. जिसके अनुसार, लोजपा चिराग और लोजपा पारस के तौर पर प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन चिन्ह को वर्तमान के लिए फ्रीज कर दिया गया है.
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बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के न रहने पर उनके बेटे चिराग पासवान और भाई पशुपति पारस पार्टी में खुद का अधिकार बताकर आमने-सामने आ गए हैं. 17 जून को खुद को पशुपति पारस ने संसदीय दल का नेता होने का दावा करते हुए पत्र चुनाव आयोग के सामने रख दिया था. इससे पहले 15 जून को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर चिराग पासवान ने पशुपति पारस, वीणा देवी, महबूब अली कैसर, चंदन सिंह और प्रिंस को पार्टी से निकालने की जानकारी दी थी. जिसको लेकर दोनों के बीच विवाद बढ़ता गया और इसी बीच केंद्र में पशुपति पारस को लोजपा के कोटे से मंत्री बना दिया गया.
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