देश में लोकप्रिय हो रहा ऑनलाइन पढ़ाई का बिहार मॉडल, पश्चिम बंगाल अपनाने को तैयार
- बिहार के वैकल्पिक शिक्षा मॉडल को जानने में जहां कुछ राज्यों ने दिलचस्पी दिखाई है, वहीं पश्चिम बंगाल ने तो बिहार के ऑनलाइन शिक्षण मॉडल को अपनाने की भी इच्छा जाहिर कर दी है। इस दिशा में पहल करते हुए बंगाल सरकार ने बिहार के शिक्षा विभाग से सम्पर्क साधा है।

कोरोना काल में बिहारवासियों के लिए एक अच्छी खबर है। कोरोना संकट की वजह से लागू लॉकडाउन में राज्य के बच्चों के लिए हुई शिक्षा की वैकल्पिक व्यवस्था की गूंज अब देश के दूसरे राज्यों तक भी पहुंचने लगी है। बिहार के वैकल्पिक शिक्षा मॉडल को जानने में जहां कुछ राज्यों ने दिलचस्पी दिखाई है, वहीं पश्चिम बंगाल ने तो बिहार के ऑनलाइन शिक्षण मॉडल को अपनाने की भी इच्छा जाहिर कर दी है। इस दिशा में पहल करते हुए बंगाल सरकार ने बिहार के शिक्षा विभाग से सम्पर्क साधा है।
पश्चिम बंगाल के शिक्षा आयुक्त एएन विश्वास ने बिहार के शिक्षा विभाग से विस्तृत जानकारी ली है कि 14 मार्च के बाद से अब तक बिहार में कैसे बच्चों का ऑनलाइन शिक्षण चल रहा है। प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक में इसकी क्या व्यवस्था की गई है। अपर मुख्य सचिव आरके महाजन के ओएसडी और शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक डॉ. विनोदानंद झा को फोन कर एएन विश्वास ने यह जाना कि कैसे बच्चों के शिक्षण के लिए दूरदर्शन के स्थानीय चैनल का इस्तेमाल किया जा रहा है और कैसे बच्चों को इस कार्यक्रम से जोड़ा गया।
उन्होंने यह भी जानना चाहा कि आखिर स्कूलबंदी और लॉकडाउन के बीच किताबों की उपलब्धता कैसे हुई, सरकार की योजनाओं का लाभ किस तरह सभी बच्चों तक पहुंचाया गया। अगली कक्षा में बच्चों का नामांकन कैसे लिया जाएगा। तीन माह की पढ़ाई का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कैसे की जाएगी।
सिलेबस छोटा करने पर होगा निर्णय
बंगाल के शिक्षा आयुक्त के तमाम सवालों के जवाब में डॉ. झा ने कहा कि एनसीईआरटी के साथ मिलकर बिहार का एससीईआरटी इस पर काम कर रहा है। तीन महीने में बच्चों की पढ़ाई का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई के लिए सिलेबस को छोटा करने पर निर्णय लिया जाएगा। नामांकन को लेकर स्थिति सामान्य होते ही स्कूलों में विशेष अभियान चलाया जाएगा। स्कूलबंदी के बीच वैकल्पिक पढ़ाई की व्यवस्था की गयी है। दूरदर्शन पर रोजाना पांच घंटे पहली से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई वीडियो-आडियो माध्यम से हो रही है। लाखों बच्चे इसका लाभ उठा रहे हैं।
इतना ही नहीं, राज्य सरकार की लाभुक योजनाओं की करीब 3400 करोड़ की राशि डीबीटी के माध्यम से 1.39 करोड़ बच्चों को दी जा चुकी है। 14 मार्च से लेकर मई तक के मध्याह्न भोजन की समतुल्य राशि भी सीधे प्रत्येक बच्चों के खाते में जा चुकी है।
लिखित कार्ययोजना मांगा गया
शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक डॉ. विनोदानंद झा ने कहा कि बंगाल के शिक्षा आयुक्त ने बिहार से पूरी कार्ययोजना को लिखित रूप में भी मांगा है, ताकि इसे बंगाल में लागू किया जा सके। वहां के शिक्षा विभाग के उप निदेशक देव ज्योति बरंग ने भी इस मुद्दे पर पहले सम्पर्क साधा था।
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