JDU से टिकट नहीं, LJP में चांस कम, क्या निर्दलीय बक्सर लड़ेंगे गुप्तेश्वर पांडेय

Smart News Team, Last updated: Wed, 7th Oct 2020, 10:50 PM IST
  • बिहार विधानसभा चुनाव में बक्सर सीट लड़ने को बेताब पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडेय को जेडीयू से टिकट नहीं मिला जिसमें वो CM नीतीश कुमार के हाथों शामिल हुए थे. बीजेपी ने गठबंधन में मिली बक्सर सीट पर परशुराम चतुर्वेदी को कैंडिडेट बनाया है. अब पांडेय चिराग पासवान की एलजेपी में जाएंगे या निर्दलीय लड़ेंगे ?
जेडीयू में शामिल हो चुके गुप्तेश्वर पांडेय की पार्टी ने एनडीए गठबंधन में बक्सर सीट बीजेपी को दे दी जिस पर भाजपा ने परशुराम चतुर्वेदी को कैंडिडट बनाया है. 

पटना. बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक और वीआरएस ले चुके आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडेय बक्सर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन नीतीश कुमार के हाथों जेडीयू की सदस्यता लेने के बाद भी उनको टिकट नहीं मिला. अब पांडेय के सामने दो ही विकल्प हैं. या तो नीतीश कुमार पर भरोसा रखें और भविष्य में चुनावी वैतरणी पार करने के मौके का इंतजार करें. या इसी चुनाव में निर्दलीय लड़ जाएं या फिर चिराग पासवान की एलजेपी जैसी किसी और पार्टी या गठबंधन के टिकट पर भाग्य आजमा लें.

गुप्तेश्वर पांडेय से जुड़े लोगों का कहना था कि वो बक्सर सीट से टिकट मिलने को लेकर इतने आश्वस्त थे कि लगातार बक्सर में ही घूम रहे थे. डीजीपी पद से वीआरएस लेकर भी वो बक्सर ही पहुंचे थे. सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि वो नॉमिनेशन के लिए सारे जरूरी पेपर वगैरह तैयार करवा चुके थे क्योंकि टिकट का ऐलान आखिरी मौके पर होना था. लेकिन राजनीति को कुछ और मंजूर था.

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नीतीश कुमार की जेडीयू ने एनडीए गठबंधन की सीट शेयरिंग में बक्सर सीट बीजेपी को दी और भाजपा ने परशुराम चतुर्वेदी को टिकट देकर कैंडिडेट बना दिया है. वाल्मीकि नगर लोकसभा उपचुनाव लड़ने की उम्मीद भी तब खत्म हो गई जब बुधवार को जेडीयू ने वहां से दिवंगत सांसद बैद्यनाथ महतो के बेटे सुनील कुमार को कैंडिडेट बना दिया. 

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चूंकि गुप्तेश्वर पांडेय चुनाव लड़ने की काफी तैयारी कर चुके हैं और इसके लिए उन्होंने दूसरी बार वीआरएस ले लिया है तो संभावना है कि वो निर्दलीय भी चुनाव लड़ ही जाएं. इससे पहले भी 2009 में वो एक बार बीजेपी के टिकट पर बक्सर लोकसभा लड़ने के लिए वीआरएस ले चुके हैं. बाद में नीतीश कुमार ने उनकी वीआरएस वापसी अर्जी स्वीकार कर ली और वो सर्विस में लौटे.

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एक संभावना ये भी है कि जिस तरह एनडीए में सीट बंटवारे के बाद सीट जाने या टिकट कटने से नाराज बीजेपी और जेडीयू के बड़े-बड़े नेता चिराग पासवान की एलजेपी में शामिल हो रहे हैं, उसी तरह गुप्तेश्वर पांडेय भी लोजपा के पाले में जाकर चुनाव लड़ लें. लेकिन उसमें पेंच ये है कि ये सीट बीजेपी की है जिस पर चिराग ने कह रखा है कि वो बीजेपी के सीट पर अपने कैंडिडेट नहीं देंगे.

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बीजेपी की एक सीट पर चिराग ने कैंडिडेट दिया है लेकिन उसमें उनकी सफाई ये है कि वो सीट एलजेपी के सिटिंग एमएलए की है तो वहां उसे लड़ाना मजबूरी है. आरजेडी या महागठबंधन की दूसरी पार्टियों के पास जाने का कोई रास्ता पांंडेय के लिए आसान नहीं है. राजनीतिक समीकरण ऐसे हैं कि गुप्तेश्वर पांडेय के पास निर्दलीय लड़ने के अलावा कोई तगड़ा विकल्प नहीं है.

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