अब बिना पंचायत प्रतिनिधि के सहमति अधिकारी नहीं कर सकेंगे चकबंदी, कानून में होंगे ये बदलाव
- बिहार में जल्द ही चकबंदी कानूनों में बदलाव होने वाले हैं. विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है. इन कानूनों को विधि विभाग की पहले ही सहमति मिल चुकी है. अब केवल सरकार की मंजूरी मिलनी बाकी है. नए कानूनों अनुसार, अब नए पंचायत प्रतिनिधियों की बिना सलाह के चकबंदी अधिकारी चकबंदी नहीं कर सकेगा.

पटना. प्रदेश में चकबंदी कानून में राजस्व व भूमि सुधार कई बड़े बदलाव करने जा रहा है. इस बदलाव के बाद चकबंदी में नए पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका निर्णायक हो जाएगी. कानून में बदलाव के बाद चकबंदी अधिकारी को क्षेत्र में चकबंदी करने में पंचायत प्रतिनिधि की सलाह माननी होगी. वहीं, अब सलाहकार समिति चकबंदी अधिकारी नहीं बनाएगा. साथ ही इस समिति में पंचायत प्रतिनिधि पदेन सदस्य होगा. इन बदलाव को लेकर विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है. जिसे विधि विभाग सहमति दे चुका है, अब सरकार की मंजूरी मिलने के बाद यह संशोधन लागू हो जाएंगे.
पहले चकबंदी अधिकारी करते थे सलाहकार समिति का गठन
चकबंदी के वर्तमान कानून अनुसार, सरकार को सलाह देने वाली ग्रामीण स्तर की सलाहकार समितियों का गठन चकबंदी अधिकारी करते थे. उनकी इच्छा के अनुसार ही गांव के ग्रामीण समिति के सदस्य होते थे, लेकिन अब प्रस्तावित संशोधन के बाद पंचायतों के नए चुने हुए जन प्रतिनिधि, वार्ड सदस्य समेत पंचायत समिति के सदस्य अपने गांव की चकबंदी की सलाहकार समितियों के पदेन सदस्य होंगे.
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अनुमंडल अधिकारी होंगे दखल कब्जा दिलाने के काम में शामिल
नए कानून के अनुसार, अब अनुमंडल अधिकारी एवं भूमि सुधार उप समाहर्ता को चकबंदी के बाद नए बने चकों पर दखल कब्जा दिलाने के काम में शामिल किया जाएगा. पहले यह काम चकबंदी अधिकारी के जिम्मे होता था. इस काम में प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि का हस्ताक्षेप नहीं होता था.
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चकबंदी के बाद मौजों में कम हो जाएगी प्लॉट की संख्या
राज्य में भूमि सर्वेक्षण पूरा होने के बाद चकबंदी शुरू हो जाएगी. चकबंदी के बाद मौजों में प्लॉट की संख्या कम हो जाएगी. खतियान भी नया बन जाएगा. इस काम को सेक्टर के आधार में बांट दिया जाएगा. सेक्टर का निर्धारण जमीन की कीमत एवं उसकी भौगोलिक स्थिति के आधार पर तय होता है.
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