Bahula Chaturthi: जानें कैसे रखें बहुला चतुर्थी, संतान के लिए रखते हैं ये व्रत
- हिंदू धर्म में बहुला चतुर्थी का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इस बार बहुला चतुर्थी 25 अगस्त को पड़ रहा है. इस व्रत में वैसे देखा जाए तो गाय माता की पूजा होती है. इस दिन गाय के दूध से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए.

श्रीकृष्ण को गाय से बहुत अधिक प्रेम रहता था, इसलिए उन्हें गोविन्द के नाम से भी पुकारा जाता है. इसी प्रम का प्रतीक भाद्रपद कृष्ण चतुरथी तिथि को पड़ने वाला बहुला भी होता है. इस बार बहुला चतुर्थी 25 अगस्त को पड़ा है. इस व्रत के माध्यम से सिर्फ श्रीकृष्ण और गाय के बीच के प्रेम को ही नहीं बल्कि मां और संतान के बीच के प्रेम को भी दर्शाया जाता है. महाभारत के आश्वमेधिक पर्व में गाय को सर्वदेवमय कहा गया. इसका ये मतलब होता है कि जिसमें सभी देवों का वास होता हो. ब्रह्मा गाय के सींगों में तो शंकर ललाट पर, देवताओं के वैद्य अश्विनी और कुमार कानों में, चंद्रमा और सूर्य नेत्रों में, पार्वती ग्रीवा में, साध्य देवता उदर में, नक्षत्र गण पीठ में, आकाश में ककुद में, चार समुद्र थनों में लक्ष्मी जी का निवास गोबर में होता है.
यही कारण है कि गाय को माता कहते हैं. जो लोग इस व्रत को रखते हैं इन्हें पांच, दस या सोलह साल के बाद ही उद्यापन करना चाहिए. संतान के रास्ते में जो भी बाधाएं आती हैं इस व्रत से शांत हो जाती है. जिनके संतान पर शनि की साढ़ेसाती या ढैया चल रही है उन लोगों को ये व्रत जरूर ही करना चाहिए. हो सके तो गायों को इस दिन हरा चारा जरूर खिलाएं. अन्न नहीं खाना चाहिए इस व्रत में. जो भी पकवान बनाएं गाय माता को उन्हीं में से भोग लगा दें. जौ और सत्तू का भी भारत के कुछ भागों में इस दिन भोग लगाया जाता है. इस दिन रात में चंद्रमा, गणेश और चतुर्थी माता को अर्घ्य देने के बात ही व्रत पूरा होता है.
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इसके पीछे की कथा इस प्रकार है- नंद बाबा के पास कामधेनु गाय बहुला नाम की गाय बनकर पहुंच गईं. बहुला की परीक्षा लेने के लिए एक बार श्री कृष्ण सिंह रूप में प्रकट हो गएं. सिंह को देख बहुला ने कहा- हे वनराज अपने बछड़े को दूध पिला लूं उसके बाद मैं आपका आहार बनने के लिए तैयार हूं. सिंह को ये विश्वास दिलाने के लिए सत्य और धर्म की बहुला ने शपथ ली. अपने बछड़े को दूध पिलाकर बहुला सिंह के पास वापस आ गईं. श्रीकृष्ण बहुला के धर्म और सत्य को देख वास्तविक रूप में प्रकट हुए और कहा कि भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी को तुम्हारी पूजा की जाएगी. इस व्रत के दिन गाय के दूध और उससे बने खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए.
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