बसंत पंचमी पर सिर्फ मां सरस्वती नहीं बल्कि कामदेव की भी होती है पूजा, ये है वजह

Pallawi Kumari, Last updated: Tue, 1st Feb 2022, 4:57 PM IST
  •  बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन कामदेव की पूजा करने की भी परपंरा है. कहा जाता है कि अगर बसंत पंचमी पर कामदेव की पूजा नहीं हुई तो सृष्टि की उन्नति रुक जाती है. आइये पौराणिक कथा में जानते हैं बसंत पंचमी पर कैसे मिला कामदेव को पूजा का स्थान.
बसंत पंचमी पर कामदेव की पूजा (फोटो-सोशल मीडिया)

हर साल हिंदू तिथि के अनुसार माघ माह की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस बार बसंत पंचमी शनिवार 5 फरवरी को मनाई जाएगी. वैसे तो हम सभी को पता है कि बसंत पर ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा अराधना करने का विधान है.लेकिन कहा जाता है कि बसंत पंचमी पर कामदेव की पूजा भी की जाती है. जी हां मान्यात है कि बसंत पंचमी पर अगर कामदेव की पूजा नहीं हुई को सृष्टि की उन्नति रुक जाती है. आइये जानते हैं कैसे शुरू हुई बसंत पंचमी पर कामदेव की पूजा करने की परंपरा.

दरअसल शास्त्रों में कामदेव को प्रेम का स्वामी कहा गया है. बसंत पंचमी के दिन से ही वसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है और प्रकृति में चारों ओर हरियाली खुशहाली और प्रेम ही प्रेम का भाव उत्पन्न हो जाता है. क्योंकि बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही मौसम सुहाना हो जाता है. 

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इसलिए धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन कामदेव की पूजा करने की परंपरा है. कहा जाता कि अगर इस दिन कामदेव की पूजा नहीं की गई तो सृष्टि की उन्नति रुक जाती है और प्राणियों में प्रेम भावना का अभाव होता है. इसलिए कामदेव की पूजा करना इस दिन करना जरूरी माना गया है.

बसंत पंचमी पर कामदेव की पूजा- पैराणिक मान्यताओं है कि कामदेव मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु के पुत्र हैं. इनकी शादी देवी रती से हुई थी. देवी रती आकर्षण और प्रेम की देवी हैं. एक कथा ने अनुसार, एक बार जब कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी तो क्रोध में आकर शिव ने उन्हें भस्म कर दिया. इसके बाद कामदेव की पत्नी रती शिवजी से विलाप करने लगीं. रती की विनती के बाद भगवान शिव ने कामदेव को भाव रूप में प्रकृति में वास करने का वरदान दिया. इस कथा के अनुसार तब से बसंत पंचनी यानी वसंत ऋतु के आगमन पर कामदेव की भी पूजा की जाती है.

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