Chhath Puja 2021: छठ व्रत में खरना का खास महत्व, इस विधि से पूजा करने पर मिलेगा छठी मईया का आशीर्वाद
- महापर्व छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय के साथ 8 नवंबर से हो चुकी है. आज दूसरे दिन खरना पूजा किया जाएगा. छठ में खरना पूजा का खास महत्व होता है. विधि विधान के साथ खरना पूजा करने वाली व्रती को छठी मईया का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कहा जाता है कि खरना पूजा के दिन से घर पर छठी मईया का आगमन हो जाता है.

छठ पूजा का दूसरा दिन खरना कहलाता है. चार दिनों तक चलने वाले इस पावन पर्व में खरना का खास मह्तव होता है. खरना के प्रसाद, पूजा और को लेकर खास विधि और महत्व होता है. खरना कार्तिक मास की शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है. खरना के दूसरे दिन सूर्य देव को पहला संध्या अर्घ्य दिया जाता है, खरना के बाद से ही व्रती लगातार 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रखती है. आइये जानते हैं छठ पूजा में खरना का क्या है महत्व और किस विधि से करें खरना पूजा.
खरना का महत्व- छठ में साफ सफाई और पवित्रता का खास ध्यान रखा जाता है. खरना का मतलब होता है शुद्धिकरण. कई जगहों पर इसे लोहंडा भी कहा जाता है. छठ पर्व पर खरना को खास दिन माना गया है. खरना के व्रती तन मन से शुद्ध होकर प्रसाद तैयार करती है और पूजा की तैयारी करती है. सबसे पहले व्रती स्नान ध्यान करके पूरे दिन का व्रत रखती है और शाम को पूजा के लिए खीर बनाई जाती है.
खरना पूजा विधि- खरना के दिन नहा धोकर नए कपड़े पहने जाते हैं और सुहागन स्त्री नाक से लेकर माथे तक पीला सिंदूर से अपनी मांग भरती है. व्रती शाम के लिए खरना प्रसाद खीर की तैयारी करती है. खरना के व्रती सुबह से लेकर शाम तक भूखी रखती है और खरना पूजा के दौरान ही प्रसाद के रूप में खीर ग्रहण करती है. इस दिन शाम के समय सूर्य देवता और छठी मैय्या का पूजन करने के चावल की खीर और पूड़ी का भोग लगाया जाता है. प्रसाद को मिट्टी के नये चूल्हे पर आम की लकड़ी से तैयार किया जाता है. भोग लगाने के बाद सबसे पहले व्रती प्रसाद ग्रहण करती है और इसके बाद वह लगातार 36 घंटे का निर्जल व्रत रखती है. खरना पूजा करने के बाद सभी में खीर और पूड़ी का प्रसाद बांटा जाता है.
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