Chhath Puja 2021: छठ पूजा में सूर्य को क्यों दिया जाता है अर्घ्य, जानें इस महापर्व का महत्व

Priya Gupta, Last updated: Tue, 5th Oct 2021, 1:12 PM IST
  • लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत नहाय-खाय के साथ शुरू होता है.
छठ पूजा में सूर्य को क्यों दिया जाता है अर्घ्य

लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का हर दिन बेहद खास होता है. पहले अर्घ्य में शाम को डूबते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देने की परंपरा है. इस पर्व में आज के दिन को संध्या अर्घ्य भी कहते हैं. व्रती सूर्यदेव को पहला अर्घ्य देने के बाद विधि-विधान से छठ माता की पूजा करती है. महापर्व छठ में पहले अर्घ्य के बाद उगते सूर्य शुरू को अर्घ्य देने की परंपरा है. इसी के साथ इस पर्व का समापन हो जाता है.

लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत नहाय-खाय के साथ शुरू होता है. चार दिवसीय छठ महापर्व के षष्ठी तिथि के दिन अर्घ्य देने से पहले बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू और पूजा के सामानों से सजाया जाता है.आज सूर्यास्त से कुछ समय पहले व्रती सूर्य देव की पूजा करेंगी और फिर डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पांच बार परिक्रमा करेंगी. मान्यता है कि डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देने से जीवन में परेशानियों से निजात मिल जाती है.

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यश, धन और वैभव की प्राप्ति होती है. इसको लेकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है उसके अनुसार डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने से व्रती के आंखों की रोशनी बढ़ती है.डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रती महिलाएं छठ माता से अपने संतान की लंबी आयु और सुख समृध्दि की कामना करती है. इस साल 10 नवंबर 2021 (तीसरा दिन)- छठ के तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा. यानी डूबते हुए सूर्य की अराधना की जाती है.

11 नवंबर 2021 (चौथा दिन)- छठ पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दी जाएगी. इसे उषा अर्घ्य के नाम से भी जाता है. इस दिन सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब पहुंचकर उगते सूर्य को अर्घ्य दी जाती है. सूर्य देव से अपनी मनोकामना मांगने के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण कर पारण करती है.

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