पटना: औषधीय पौधों की खेती की पढ़ाई कराने की तैयारी कर रहा राजकीय आयुर्वेद कॉलेज
- कॉलेज कैंपस में औषधिय पौधों का एक बाग तैयार करवाया जा रहा है और इसकी पढ़ाई कराने को किसानों के लिए मार्निंग शिफ्ट लगाई जाएगी. इससे किसानों को आय बढ़ाने और दवाओं के लिए पर्याप्त मात्रा में गुणवत्तापूर्ण जड़ी-बूटियों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के बारे में जानकारी दी जाएगी.

पटना. राजधानी के राजकीय आयुर्वेद कॉलेज ने इस बार छात्रों को औषधीय पौधों और जड़ी-बूटी की खेती की पढ़ाई करवाने की तैयारी शुरू कर दी है. इस बारे में जानकारी देते हुए कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि कोरोना के दौर में पूरी दुनिया अब मान चुकी है कि जड़ी-बूटियां शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर तमाम संक्रमणों से सुरक्षित रखती हैं. कोरोना से बचाव के लिए आयुष मंत्रालय ने भी क्वाथ यानी काढ़ा पीने की अनुशंसा की है.
उन्होंने बताया कि वन विभाग के सहयोग से कैंपस में औषधीय पौधों का एक बाग तैयार करवाया जा रहा है क्योंकि गुणवत्तापूर्ण जड़ी-बूटियों की उपलब्धता के बिना आयुर्वेद की कल्पना भी नहीं की जा सकती. किसानों की आय बढ़ाने और दवाओं के लिए पर्याप्त मात्रा में गुणवत्तापूर्ण जड़ी-बूटियों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए सुबह की शिफ्ट में इसकी पढ़ाई कराई जाएगी. उन्होंने कहा कि जानकारी के अभाव के चलते किसान परपंरागत अनाज की खेती करके ही नुकसान सहते आ रहे हैं.
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कॉलेज प्राचार्य ने के मुताबिक ऐसा कोई पौधा नहीं है, जिसमें कोई औषधीय गुण नहीं है. बस हमें उनके उपयोग के बारे में जानकारी नहीं होती. इसी कारण आज तमाम औषधीय पौधे नष्ट होते जा रहे हैं. दवा कंपनियां भी दवाएं बनाने के लिए किसानों को प्रेरित कर रही हैं और इसके लिए किसानों को अच्छी कीमत भी दे रही हैं. हमारे आयुर्वेद में ऐसी तमाम जड़ी-बूटियां हैं जो बिना सर्जरी के हमें कई जटिल रोगों से छुटकारा दिल सकती हैं. वहीं, वात, पित्त, कफ संबंधित रोग जैसे सर्दी, खांसी, जुकाम, सिरदर्द, दस्त व उल्टी जैसे जिन रोगों के लिए हम एलोपैथिक दवाएं धड़ल्ले से खाकर कई रोग पाल लेते हैं, ये हमारे रसोईघर में इस्तेमाल होने वाले मसालों व गांवों में स्वत: उगे पौधों से बिना दुष्प्रभाव के ठीक किए जा सकते हैं. इसी के चलते राजकीय कॉलेज ने इसकी पढ़ाई शुरू करने का फैसला किया है और तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं.
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