लोहड़ी के लोकगीतों से दोगुना हो जाएगा जश्न, भांगड़ा-गिद्दा करते गाएं सुंदर मुंदरिये..

Pallawi Kumari, Last updated: Wed, 12th Jan 2022, 1:35 PM IST
  • किसी भी पर्व में लोकगीत का खास महत्व होता है. अपनी भाषा में अपने पर्व का जश्न दोगुना हो जाता है. बात अगर लोहड़ी को हो तो लोकगीतों के बिना लोहड़ी का त्योहार अधूरा होता है. भांगड़ा और गिद्दा करते हुए लोहड़ी की रौनक ही कुछ और होती है. आइये जानते हैं लोहड़ी पर कौन कौन से लोकगीत गाए जाते हैं.
लोहड़ी लोकगीत

मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले 13 जनवरी की शाम लोहड़ी का त्योहार मनाया जाएगा. लोहड़ी खासतौर पर पंजाबियों का पर्व है. इसे पंजाब, हरियाणा समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में भी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. लोहड़ी के दिन फसलों की अच्छी पैदावर के लिए ईश्वर से कामना की जाती है. खास कर जिन घरों में नव विवाहित जोड़े या बच्चे की पहली लोहड़ी होती है. वहां बड़े ही धूमधाम के साथ लोहड़ी मनाई जाती है. आइये जानते हैं लोहड़ी पर सालों से गाए जाने वाले लोकगीत.

1. सुन्दर-मुन्दिरिये-हो तेरा कौन विचारा-हो

दुल्ला मही वाला-हो दुल्ले ने घी ब्याही-हों

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सेर शक्कर पाई-हो कुड़ी दा लाल पटाका-हो

कुड़ी दा सालू फाटा-हो सालू कौन समेटे-हों

चाचा चूरी कुट्टी-हों जमीदारा लूटी-हो

जमींदार सुधाये-हो बड़े भोले आये-हों

इक भोला रह गया-हों सिपाही पकड़ के लै गया-हों

सिपाही ने मारी ईट, भाँवे रो, ते भाँवे पीट

सानू दे दे, लोहड़ी तेरी जीवे, जोड़ी

2.साड़े पैरां हेठ रोड, सानूं छेती-छेती तोर!

साड़े पैरां हेठ दहीं असीं मिलना वी नईं!

साड़े पैरां परात सानूं उत्तों पै गई रात!

3.कंडा कंडा नी लकडियो कंडा सी

इस कंडे दे नाल कलीरा सी

जुग जीवे नी भाबो तेरा वीरा सी,

पा माई पा, काले कुत्ते नू वी पा

कला कुत्ता दवे वदायइयाँ,

तेरियां जीवन मझियाँ गईयाँ,

मझियाँ गईयाँ दित्ता दुध,

तेरे जीवन सके पुत्त,

सक्के पुत्तां दी वदाई

4.पा नी माई पाती चेरा पुत् चढेगा हाथी हाथी

उत्ते जौं तेरे पुत्त पोत्रे नौ!

नौंवा दी कमाई तेरी जोली विच पाई

चेर नी मां टेर नी

लाल चरखा फेर नी!

बुड्ढी सांस लैंदी है

उत्तों पात पैंदी है

अंदर बट्टे ना खड्काओ

सान्नू दूरों ना डराओ

चारक गाने खिल्लां दे

पाथी लौके हिल्लांगे

कोठे उत्ते मोर सान्नू

पाथी देकर तोर!

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