डॉक्टर्स डे स्पेशल: जान की फिक्र छोड़कर मरीजों की सेवा में लगे कोरोना वॉरियर्स
- कोरोना महामारी के बीच बुधवार 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जा रहा है।

पटना. कोरोना काल के बीच आज नेशनल डॉक्टर्स डे शायद लोगों को धर्ती के भगवान होने का अर्थ और महत्व अच्छे से समझा रहा है। कोरोना की चपेट में हमारे लाखों लोग जान गंवा देते अगर उन्हें बचाने ये धरती के भगवान यानी डॉक्टर्स आगे नहीं आते। कोरोना महामारी में देशभर के डॉक्टर अपनी व्यक्तिगत और पारिवारिक जरूरतों को भुलाकर पिछले कई दिन-रात से मरीजों और मानवता की सेवा में जुटे हैं।
कोरोना काल में पिछले करीब 100 दिनों से राज्य सरकार के अस्पतालों में कार्यरत सरकारी डॉक्टर बिना कोई छुट्टी सेवा दे रहे हैं। इससे लोगों में डॉक्टरों के प्रति आदर की भावना एक बार फिर बढ़ गई है। कोरोना के अग्रश्रेणी के योद्धा बनकर ये चिकित्सक देश को महामारी से बचाने में जी-जान से जुटे हैं।
बिहार में अपेक्षाकृत डॉक्टरों की संख्या कम होने की वजह से मरीजों का बोझ भी ज्यादा है। कई डॉक्टर ऐसे भी हैं जो खुद बीमार हैं, उनके परिवार का कोई ना कोई सदस्य भी अस्पताल में है बावजूद इसके सेवा में पीछे नहीं हट रहे। कई डॉक्टर अपने घर में ही आइसोलेशन में रहने को मजबूर हैं। बच्चों व परिवार के सदस्यों को संक्रमण ना फैले इसके लिए अपने घर के एक कमरे में खुद को समेट लेते हैं। राज्य के सरकारी अस्पतालों में कई ऐसे चिकित्सकों हैं जो संकट की इस घड़ी में मानवता की सेवा में लगातार लगे हुए हैं।
पूरा परिवार कोरोना मरीजों की सेवा में जुटा है
राज्य को कोरोना संकट से उबारने में पटना एनएमसीएच के कोरोना के नोडल पदाधिकारी डॉ. अजय कुमार सिन्हा का पूरा परिवार जुटा है। उनकी पत्नी भी डॉक्टर हैं जबकि बेटी पीएमसीएच के मेडिसीन विभाग में कोरोना मरीजों की सेवा में लगी हैं। डॉ. अजय ने बताया कि उनके दो पुत्र घर में एक बूढ़ी मां की सेवा की जिम्मेवारी उठा रहे हैं। तभी वे लोग प्रतिदिन 16 से 18 घंटा मरीजों की सेवा कर पा रहे हैं। घर लगभग छूट गया है। इमरजेंसी में दिन-रात अस्पताल में ही बीतता है।
रात के 11 बजे तक मरीजों की देखभाल
एम्स पटना में कोरोना के नोडल पदाधिकारी डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि सुबह 8 से रात 11 बजे तक उनका समय कोरोना मरीजों के लिए समर्पित है। पत्नी रंजना भी डॉक्टर हैं। बेटी भी मेडिकल इंटर्न के रूप में कोरोना मरीजों की देखभाल में लगी है। डॉक्टर संजीव कुमार ने कहा कि लोग अब लापरवाह हो गए हैं। इस कारण अस्पतालों पर मरीजों का बोझ अचानक बढ़ा है। लोगों को खुद अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और बचाव के तरीकों का पालन करना चाहिए। यह भी देश सेवा का ही कार्य होगा।
बिना छुट्टी सेवा में जुटे हैं
पीएमसीएच के कोरोना आइसोलेशन के नोडल पदाधिकारी डॉ. पीएन झा सैंपलों की जांच में जुटे हैं। माइक्रोबायोलॉजी के डॉ. सत्येंद्र सिंह, इमरजेंसी प्रभारी डॉ. अभिजीत सिंह, प्राचार्य डॉ. बीपी चौधरी व अधीक्षक डॉ. बिमल कारक समेत कई चिकित्स्क हैं जो बिना अवकाश लिए पिछले 100 दिनों से कार्य कर रहे हैं। डॉ. अभिजीत स्वयं गिरकर घायल हो गए थे, उनकी पत्नी बीमार होकर एक अस्पताल में भर्ती थीं, बावजूद उन्होंने एक दिन भी पीएमसीएच में अपनी ड्यूटी नहीं छोड़ी।
एक हाथ टूटने के बावजूद काम में जुटे हैं सिविल सर्जन
कोरोना संकट के दौरान पटना के सिविल सर्जन आरके चौधरी ने सेवाभाव की खास मिसाल कायम की है। सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने और एक हाथ टूट जाने के बावजूद तीसरे दिन से ही ड्यूटी ज्वाइन कर लिए। अब भी उनके हाथ में प्लास्टर लगा है। इसी हाल में सिविल सर्जन एक ओर पीएचसी, कोरोना अस्पतालों की व्यवस्था देखते हैं तो दूसरी ओर संक्रमित मरीजों के सैंपल से लेकर उनको आइसोलेशन की व्यवस्था की जिम्मेवारी उठा रहे हैं।
इसक अलावा विभाग से लेकर जिला प्रशासन की बैठकों में भी शामिल होते हैं। इस भागदौड़ के बीच उनका हाथ ठीक नहीं हो पा रहा है। लेकिन उनका कहना है कि सिविल सर्जन के पद की जिम्मेवारी से वे अपना सारा दर्द भूलकर कोरोना की रोकथाम में लगे हैं।
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