कंजक पूजने के बाद ही सफल होता है नवरात्रि का व्रत, इस विधि से करें कन्या पूजन

Pallawi Kumari, Last updated: Wed, 13th Oct 2021, 7:00 AM IST
  •   नौ दिनों के नवरात्र में मां दुर्गा के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. लेकिन कहा जाता है कि कंजक पूजा के बाद ही नवरात्रि की पूजा और व्रत सफल होती है. नवरात्रि के अष्टमी या नवमी को कन्या पूजा करने का महत्व है. कुछ लोग पूरे नौ दिन का व्रत कर दशमी को कन्या पूजते हैं.
कंजक पूजने के बाद ही सफल होता है नवरात्रि का व्रत.

वैसे तो नवरात्रि नौ दिनों तक मनाई जाती है. लेकिन इस बार चतुर्थी की क्षय तिथि होने के कारण नवरात्रि नौ के बजाय आठ दिन की होगी. इसलिए कई लोगों को अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर कंफ्यूजन है. नवरात्रि में कंजक या कन्या पूजा के लिए नौ कन्याओं को नौ देवी के रूप में पूजा जाता है. कहा जाता है भक्त का व्रत कंजक पूजने के बाद ही सफल होता है. नौ कन्याओं के सथ एक बालक भी होता है, जिसे लांगुर या हनुमान कहा जाता है. लांगुर के बिना कन्या पूजन अधूरी होती है. चलिए आपको बताते हैं किस मुहूर्त पर और कैसे कंजक पूजन.

कैसे करें कन्या पूजा- 2 साल से 10 साल तक की कन्याओं को कंजक पूजा के लिए 9 कन्याओं को बुलाया जाता है. अगर 9 कन्याएं ना मिल पाए तो सात या पांच कन्या भी पूजी जा सकती है. लेकिन एक बालक का होना भी जरूरी होता है, जिसे लांगुर कहा जाता है. कन्या पूजा से पहले माता अम्बेरानी की पूजा करनी चाहिए. इसके बादकन्याओं और बालक के साफ जल से पैर धोएं. उन्हें आसन पर बैठाएं. मां दुर्गा के समक्ष दीप जलाएं और सभी कन्याओं और बालक को तिलक करें और हाथ में कलावा बांधें. इसके बाद बालक और कन्याओं को भोजन परोसें. भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा और उपहार दें. सभी कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर विदा करें.

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कन्या पूजन अष्टमी मुहूर्त - कुछ भक्त सप्तमी तो कुछ अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं. तो कुछ नौ दिनों का व्रत पूरा कर दशमी को कन्या पूजते हैं. लेकिन अधिकतर लोग अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते हैं. नवरात्रि में अष्टमी शुभ मुहूर्त: अमृत काल- 03:23 AM से 04:56 AM तक और ब्रह्म मुहूर्त– 04:41 AM से 05:31 AM तक है.

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