पटना: नवरात्रि की तैयारियां शुरू, अष्टभुजी अष्टधात्रि मां की होती है पूजा, सजावट मोह लेती है मन
- शहर में पूजा पंडाल बनाने की तैयारियां तेज होती जा रही है. जिला प्रशासन की गाइडलाइन के अनुरूप पूजा पंडाल निर्माण और मूर्तियों को बनाने की गति को तेज किया जा रहा है.
पटना: नवरात्रि में महज कुछ ही दिन बचे हु्ए हैं. ऐसे में अभी से ही नवरात्रि की तैयारियां शुरू हो चुकी है. शहर में पूजा पंडाल बनाने की तैयारियां तेज होती जा रही है. जिला प्रशासन की गाइडलाइन के अनुरूप पूजा पंडाल निर्माण और मूर्तियों को बनाने की गति को तेज किया जा रहा है. पटना में डाकबंगला की तरह ही कदमकुआं स्थित डोमन भगत सिंह लेन में बैठने वाली मूर्ति, पंडाल और वहां की सजावट को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. बीते 6 दशकों से यहां पूजा पंडाल लोगों को लुभाता आया है. पहली बार 1959 में दुर्गापूजा के मौके पर वहां मूर्ति स्थापित की गई थी.
इस दौर में पूजा समिति के संस्थापक सदस्यों में वंशीलाल, प्रो. बृजनंदन प्रसाद सिंह हरिहर प्रसाद सिन्हा, लालजी प्रसाद आदि शामिल थे. यहां श्री श्री नवयुवक दुर्गापूजा समिति डोमन भगत लेन कदमकुआं के बैनर तले आयोजित की जा रही है. यहां तीसरी पीढ़ी मूर्ति बैठाने और पूजा का संचालन कर रही है. आजादी के बाद देशभक्ति की भावना से ओत-पोत होकर पूजा समिति से जुड़ी पहली पीढ़ी ने यहां 1959 से लेकर 1985 तक भारत माता की प्रतीमा बैठाई जिनके हाथों में तिरंगा होता था. यह अपने आप में अलग होता था. दूसरी और तीसरी पीढी 1985 के बाद से अबतक अष्टधात्री मां की पूजा का आयोजन कर रही है. भारत माता शैली की मूर्ति का बदलता स्वरूप यहां की मुख्य विशेषताओं में शामिल रहा है. मौजूदा समय में अष्टभूजा शैली में बनी मां अष्टधात्री की प्रतिमा को देखने दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. और इसका गुणगान करते हैं.
पटना में शैली में मूर्ति और बंगाली कलालकार बनाते रहे हैं पंडाल
डोमन भगत सिंह लेन में बनने वाली मूर्तियों की शैली पटना की है. बीते दो दशकों से पटना के शिवशंकर पंडित यहां की मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं. अभी अष्टभुजी माता की मूर्ति का निर्माण भी तेजी से चल रहा है. पंडाल का निर्माण कोलकाता के विक्रम माल्लिक कर रहे हैं. इस साल कोरोना के कारण भव्य पंडाल नहीं बनेगा. समिति सदस्य कहते हैं कि यहां के पंडाल का गेट कभी 25 फीट से नीचे नहीं बना है. लेकिन इस बार तीस फीट से ज्यादा का पंडाल नहीं बनाया जा सकता है. इस बार मूर्ति की लंबाई भी आठ फीट से ज्याादा नहीं होगी. पंडाल निर्माण के लिए पटना में 20 सदस्यीय टीम पहुंच चुकी है.
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