पटना मेट्रो डिपो निर्माण को जमीन की जरूरत, जून के बाद काम शुरू होने की संभावना
- भूमि अधिग्रहण का काम धीमी गति से चल रहा है. इसके लिए 71 एकड़ जमीन की जरूरत है. जमीन का सामाजिक और धार्मिक मूल्यांकन करने के लिए सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त एजेंसी को काम दिया गया है
पटना. पटना मेट्रो डिपो का निर्माण जमीन अधिग्रहण करने के काम की गति धीमी होने के चलते जून के बाद ही शुरू होने की संभावना है. गौर हो कि डिपो निर्माण के लिए 71 एकड़ जमीन की आवश्यकता है. न्यू आईएसबीटी के सामने मसौढ़ी-गया रोड के पूरब पहाड़ी और रानीपुर मौजा की जमीन को चुना गया है. जिला प्रशासन की ओर से जमीन का सामाजिक और धार्मिक मूल्यांकन करने के लिए सरकार से मान्यता प्राप्त एजेंसी को काम दिया गया है. एजेंसी का चयन टेंडर के जरिए किया गया है.
गौर हो कि एजेंसी से रिपोर्ट मिलने के बाद जमीन अधिग्रहण को अधिसूचना जारी होगी. उसके बाद किसानों से 60 दिनों में दावा आपत्ति लिया जाएगा. इसके बाद उन्हें मुआवजा अदा कर दिया जाएगा और पटना मेट्रो रेल कार्पोरेशन को जमीन दे दी जाएगी. काम की गति धीमी होने के चलते यह सब काम जून के बाद पूरा हनो की संभावना है. इस समय कॉरिडोर वन और टू के एलाइनमेंट करने के लिए मिट्टी की जांच चल रही है. सिविल और बिजली वर्क के निर्माण काम के लिए भी अभी अंतिम मंजूरी नहीं मिली है.
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उल्लेखनीय है कि सिविल और बिजली कार्य की मंजूरी मिलने के बाद ही काम धरातल पर दिखाई देगा. पटना मेट्रो डिपो को अक्टूबर 2024 तक चालू करने का लक्ष्य रखा है. पटना मेट्रो को बिजली सप्लाई देने के लिए दो जगहों न्यू आईएसबीटी के पास और मीठापुर के पास ग्रिड सब स्टेशन बनेंगे. इन पर 22 करोड़ की लागत आएगी. किसानों को बिहार भू अर्जन अधिनियम 2013 के तहत मुआवजा दिया जाएगा. कास्टिंग यार्ड के लिए 250 एकड़ जमीन लीज पर ली जाएगी. इस जमीन पर मेट्रो निर्माण की सामग्री तैयार की जाएगी.
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