साढ़े तीन सौ साल पुराना है पटना के गोलघर का इतिहास, जानें क्यों हुआ इसका निर्माण

Smart News Team, Last updated: Mon, 5th Jul 2021, 12:08 AM IST
  • आज भी गोल घर पटना शहर की सबसे ऊंची इमारतों में से एक है. इसकी ऊंचाई 29 मीटर है. गोलघर की अनाज भंडारण क्षमता करीब 1,40,000 टन है, लेकिन निर्माण के समय में कुछ गलती के कारण इस कभी पूरा नहीं भरा गया.
खास बात यह है कि गोल घर में एक ही आवाज करीब 27-32 बार गूंजती है. इसकी दीवारें 3.6 मीटर मोटी हैं, जो अनाज को नमी से बचाने में मदद करती थीं. (Credit: Bihar Tourism Official Site)

बिहार अपनी ऐतिहासिक धरोहर को लेकर दुनियाभर में प्रसिद्ध है. नालंदा विश्वविद्यालय और पटना म्यूजियम के साथ-साथ प्राचीन स्थलों में से एक बिहार का गोल घर भी खास अहमियत रखता है. पटना में स्थित गोल घर ब्रिटिश काल के दौरान साढ़े तीन सौ साल पहले बनाया गया था. वास्तुकला का यह बेहद ही अद्भुत नमूना है, इसका आकार गोल है, जिसके कारण इसे गोल घर कहा जाता है. गोल घर को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.

गोलघर को ब्रिटिश इंजिनियर कैप्टन जान गार्स्टिन ने डिजाइन किया था. इस इमारत का निर्माण 1784 में शुरू हुआ था. गोलघर को बनाने में करीब 30 महीने का समय लगा था. पटना शहर के गांधी मैदान की पक्षिम दिशा में स्थित गोल घर को पहले 'द ग्रेनरी ऑउ पटना' के नाम से जाना जाता था. 1770 में पड़े भयंकर सूखे को देखते हुए अनाज को सुरक्षित रखने के लिए यह इमारत बनवाई गई थी.

अनाज भंडारण की इस इमारत को मधुमक्खी के छत्ते के समान बनाया गया था. दिखने में अर्ध-गोलाकार इस इमारत का नाम 'गोल घर' पड़ गया था. (Credit: Bihar Tourism Official Site)

आज भी गोल घर पटना शहर की सबसे ऊंची इमारतों में से एक है. इसकी ऊंचाई 29 मीटर है. गोलघर की अनाज भंडारण क्षमता करीब 1,40,000 टन है, लेकिन निर्माण के समय में कुछ गलती के कारण इस कभी पूरा नहीं भरा गया. क्योंकि गोलघर के दरवाजे अंदर की तरफ खुलते हैं और अनाज भंडारण के बाद इसके दरवाजे खोलने में दिक्कत होती थी.

27-32 बार गोल घर में गूंजती है एक ही आवाज: अनाज भंडारण की इस इमारत को मधुमक्खी के छत्ते के समान बनाया गया था. दिखने में अर्ध-गोलाकार इस इमारत का नाम 'गोल घर' पड़ गया था. खास बात यह है कि गोल घर में एक ही आवाज करीब 27-32 बार गूंजती है. इसकी दीवारें 3.6 मीटर मोटी हैं, जो अनाज को नमी से बचाने में मदद करती थीं. गोलघर के ऊपरी भाग तक चढ़ने के लिए 146 सीढ़ियां हैं.

 

पर्यटकों के लिए गोल घर के अलावा इसके बाहर होने के वाला 'लेजर शो' आकर्षण का केंद्र होता है. यहां पर हफ्ते में तीन दिन लेजर और लाइट शो होता है. (Credit: Bihar Tourism Official Site)

गोल घर का प्रसिद्ध लेजर शो: पर्यटकों के लिए गोल घर के अलावा इसके बाहर होने के वाला 'लेजर शो' आकर्षण का केंद्र होता है. यहां पर हफ्ते में तीन दिन लेजर और लाइट शो होता है. जिसमें बिहार का स्वर्णिम इतिहास, मगध के राजा, आर्यभट्ट, चाणक्य, चन्द्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक के महान कार्य को दर्शाया जाता है. इसके साथ शेरशाह सूरी के समय का बिहार, सासाराम में स्थित उनकी कब्र, पटलीपुत्र से पटना बनने की कहानी सुनाई जाती है.

दिल्ली से पटना की दूरी: पटना में स्थित गोल घर दिल्ली से करीब 1,082 किलोमीटर दूर है. आप बस, ट्रेन या फिर फ्लाइट से पटना पहुंच सकते हैं. बस के रास्ते दिल्ली से पटना पहुंचने में आपको 14.40 घंटे का समय लगेगा. वहीं ट्रेन के रास्ते आप 15.27 घंटे में आप तय कर सकते हैं. हवाई मार्ग के रास्ते आप केवल डेढ़ घंटे में दिल्ली से पटना पहुंच सकते हैं.

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