विष्णु भगवान को समर्पित होता है एकादशी, फिर क्यों रंगभरी एकादशी पर होती है शिव-पार्वती की पूजा

Pallawi Kumari, Last updated: Wed, 9th Mar 2022, 5:43 PM IST
  • रंगभरी एकादशी व्रत सोमवार 14 मार्च को रखा जाएगा. वैसे तो एकादशी का दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होता है. लेकिन रंगभरी एकादशी पर विष्णु जी के साथ शिवजी-माता पार्वती और आंवले के पे़ड़ की भी पूजा करने का विधान है. कहा जाता है कि इसी दिन भगवान शिव माता पार्वती को पहली बार कैलाश लेकर आए थे.
रंगभरी एकादशी (फोटो-सोशल मीडिया)

हर माह के दोनों पक्ष में एकादशी तिथि पड़ती है, जोकि भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होती है. लेकिन रंगभरी एकादशी एक मात्र ऐसी एकादशी है, जिसमें भगवान विष्णु के साथ भोलेनाथ और माता पार्वती की भी पूजा की जाती है. कहा जाता है कि भगवान शिव माता पार्वती को गौना करके इसी दिन कैलाश लेकर आए थे. इसलिए इस दिन भक्त खुशी मनाते हैं और रंग गुलाल उड़ाते हैं. यही कारण है कि इस एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है.

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरी एकादशी मनाई जाती है. इस दिन आंवले के पेड़ में पूजा होने के कारण इसे आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस साल रंगभरी एकादशी या आमलकी एकादशी 14 मार्च सोमवार को पड़ रही है.

Ekadashi 2022: पुष्ण नक्षत्र में मनेगी रंगभरी एकादशी, इस मंत्र के जाप से मिलेगी शिवजी की कृपा

रंगभरी एकादशी शुभ मुहूर्त-

रंगभरी एकादशी रविवार 13 मार्च सुबह 10:21 से शुरू हो रही है जोकि अगले दिन सोमवार 14 मार्च दोपहर 12:54 तक रहेगी. सर्वार्थ सिद्धि योग 13 मार्च सुबह 6:32 से रात्रि 10:08 तक होगा और पुष्प नक्षत्र13 मार्च रात्रि 10:08 तक होगी. इसलिए कुछ लोग रंगभरी एकादशी का व्रत 13 मार्च को रखेंगे. लेकिन उदया तिथि के अनुसार 14 मार्च को एकादशी व्रत रखा जाएगा.

रंगभरी एकादशी पूजा विधि-

एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि से निर्वृत होकर कर साफ कपड़ें पहनें. घर के मंदिर में दीपक जलाएं और भगवान के समक्ष हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें.माता गौरा का विशेष श्रृंगार करें. पूजा में सबसे शिवलिंग पर जलाभिषेक करें फिर बेलपत्र चढ़ाएं. महादेव को गुलाल भी चढ़ाएं. इसके बाद फल फूल भोग आदि चढ़ाकर पूजा करें. रंगभरी एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और आखिर में आरती करें.

Video: बेटे को बचाने के लिए पिता ने लगा दी जान की बाजी, ऐसे बचाई गुस्सैल सांड से जान

आज का अखबार नहीं पढ़ पाए हैं।हिन्दुस्तान का ePaper पढ़ें |

अन्य खबरें