Utpanna Ekadashi 2021: 30 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी व्रत, पूजा करते समय रखें इन बातों का ध्यान

Pallawi Kumari, Last updated: Mon, 29th Nov 2021, 8:52 AM IST
  • उत्पन्ना एकादशी के दिन एकादशी श्रीहरि के शरीर से एकादशमी माता उत्पन्न प्रकट हुई थी. इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. इस साल उत्पन्ना एकादशी 30 नवंबर को है. इस दिन व्रत रखा जाता है और एकादशी पूजा की जाती है. सभी एकादशी में उत्पन्ना एकादशी सबसे उत्तम माना जाता है.  
उत्पन्ना एकादशी पर होगी भगवान विष्णु पूजा

हिंदू धर्म में उत्पन्ना एकादशी का खास महत्व होता है. कहा जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के इस जन्म से लेकर पूर्वजन्म के भी पापों का नाश हो जाता है और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है. वैसे तो हर माह एकादशी व्रत होती है, जिसमें भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. सभी एकादशी को अलग अलग नामों से जाना जाता है. अगरहम, मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. इस बार उत्पन्ना एकादशी का व्रत 30 नवंबर को रखा जाएगा. अगर आप भी एकादशी व्रत करने जा रही हैं तो इससे पहले यहां जान लें पूजा की विधि, व्रत, महुर्त और नियम.

उत्पन्ना एकादशी तिथि और पूजा मुहूर्त -

उत्पन्ना एकादशी तिथि: 30 नवंबर 2021, मंगलवार सुबह 04 बजकर 13 मिनट से शुरू 

उत्पन्ना एकादशी समापन: 01 दिसंबर 2021, बुधवार मध्यरात्रि 02 बजकर 13 मिनट तक 

पारण तिथि हरि वासर समाप्ति का समय: 01 दिसंबर 2021, सुबह 07 बजकर 37 मिनट

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उत्पन्ना एकादशी व्रत नियम-

उत्पन्ना एकादशी के दिन व्रत रखा जाता है और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. साथ ही इस दिन उत्पन्ना माता की भी पूजा की जाती है. उत्पन्ना एकादशी का व्रत आप निर्जला भी रख सकती हैं या फिर फलाहार या पानी जूस वहैगर पीकर भी रख सकती हैं. लेकिन इस दिन भूलकर भी पूजा के बाद नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन हल्दी मिले जल से भगवान विष्णु को अर्घ्य दें. इस दिन रोली या दूध का प्रयोग न करें. व्रत के एक दिन पहले रात में भोजन नहीं करना चाहिए. एकादशी के दिन सुबह श्री कृष्ण की पूजा की जाती है. पूजा में सिर्फ फलों का भोग लगाया जाता है.

उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि- सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें. धूप, दीप, नववैद्य आदि सामग्री से विधि विधान से विष्ण भगवान की पूजा करें और आरती करें.  

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