Dhanteras 2021: दीवाली के पहले क्यों मनाते हैं धनतेरस, जानें कब से हुई इसकी शुरुआत
- कार्तिक माह (पूर्णिमान्त) की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है.
दीवाली से पहले देश भर में धनतेरस का त्योहार जोर शोर से मनाया जाता है. धनतेरस पर नए बर्तन या सोने, चांदी के आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है. लेकिन इन सब के साथ ही धन का मतलब सिर्फ पैसे से नहीं होता है. धन का मतलब और इसके बारे में जानना और समझना बेहद जरुरी है.कार्तिक माह (पूर्णिमान्त) की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है.
शास्त्रों में धन के पांच मतलब समझे गए हैं. 'धन' का अर्थ पहला 'ज्ञान' माना जाता है. जिसके बलबूते सारे विश्व को जीता जा सकता है. संस्कृत में ज्ञान के बारे में बताते हुए कहा गया है कि "व्यये कृते वर्धत एव नित्यम, विद्दा धनं सर्व धनम प्रधानम" जिसका अर्थ हैं कि ज्ञान को जितना अधिक दूसरों को बांटा जाता है उतना अधिक बढ़ता है. धन का दूसरा मतलब 'सदगुण' समझा गया है.
Dhanteras 2021: इस साल कब है धनतेरस, जानिए तिथि, पूजा शुभ मुहूर्त और महत्व
इस साल धनतेरस 2 नवंबर, मंगलवार को है. इस त्योहार को धन और समृद्धि का कारक माना जाता है. धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की विशेष पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ही भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था. इस कारण इसे धन्वंतरि जयंती या धन त्रयोदशी माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन आभूषण, बर्तन और वाहन खरीदना शुभ होता है.
धनतेरस तिथि और शुभ मुहूर्त
धनतेरस तिथि- 2 नवंबर 2021, मंगलवार
प्रदोष काल- शाम 05 बजकर 35 मिनट से रात 08 बजकर 11 मिनट तक.
वृषभ काल- शाम 06 बजकर 18 मिनट से शाम 08 बजकर 14 मिनट तक.
धनतेरस पूजन मुहूर्त- शाम 06 बजकर 18 मिनट से रात 08 बजकर 11 मिनट तक.
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