इलाहाबाद HC ने कहा,- खाली पदों को देरी से भरने पर नहीं खत्म होगी कर्मचारियों की ग्रेच्युटी
- शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई में फैसला देते हुए कहा है कि सेवानिवृत्ति पदों को देरी से भरने पर कर्मचारियों को ग्रेच्युटी के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है.
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कर्मचारियों को लेकर एक अहम फैसला दिया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति से एक साल पहले उनके विकल्प भरना चाहिए, यदि इसमें देरी होती है तो कर्मचारी को उसके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले में तीन सप्ताह में जवाब मांगा है और यह स्पष्ट करने को है कि क्या याची का देरी से भरा गया विकल्प स्वीकार्य किये जाने योग्य है या नहीं.
शुक्रवार को मोहर पाल सिंह की विशेष अपील पर न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी एवं न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने यह आदेश दिया. इस अपील का स्थायी अधिवक्ता बीपी सिंह कछवाहा ने विरोध किया. बताया गया कि अपील करने वाले मोहर पाल सिंह प्राइमरी स्कूल मोइद्दीनपुर एटा का प्रधानाध्यापक थे. उसने ग्रेच्युटी का विकल्प दिया लेकिन विकल्प सेवानिवृत्ति आयु से एक साल पहले न देकर छह माह पहले दिया गया. इस कारण उसे ग्रेच्युटी देने से इनकार कर दिया गया. इसके लिए उन्होंने याचिका भी दायर की थी जिससे पहले खारिज कर दिया गया, अब उन्होंने विशेष अपील दाखिल की है.
यूपी सरकार ने बढ़ाई निशुल्क राशन योजना की तारीख, अब 25 दिसंबर तक होगा वितरण
अपील कर्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही दामोदर मथपाल केस में कहा था. कि सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष देने का विकल्प न देने से ग्रेच्युटी पाने के अधिकार समाप्त नहीं होते. 10 जून 2002 के शासनादेश में कहा गया है कि 60 साल की सेवानिवृत्ति आयु से एक साल पहले ग्रेच्युटी का विकल्प दिया जाना है. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर पूछा है कि क्या विकल्प देने में देरी से ग्रेच्युटी पाने के अधिकार छीने जा सकते हैं.
अन्य खबरें
इलाहाबाद हाईकोर्ट : यूनिवर्सिटी की UG, PG छात्राओं को मिलेगा मातृत्व अवकाश
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा, नहीं भरी हॉस्टल फीस तो रोक ली जाएगी डिग्री
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने जुर्माने के विरोध में सिर मुड़वाकर निकाला मार्च