प्रयागराज माघ मेले पर संकट के बादल, गंगा का पानी बढ़ने से तंबू लगाने में समस्या
- संगम नगरी प्रयागराज में जनवरी से मार्च 2022 तक आयोजित होने वाले माघ मेले पर संकट के बादल छा रहे हैं. गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से किनारे मौजूद रेतीली जमीन पर अस्थायी तंबू लगाने में दिक्कत आ रही है. कोरोना के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट ने भी प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है.

प्रयागराज: संगम नगरी में आयोजित होने वाले माघ मेले पर संकट के बादल छाने लगे हैं. प्रयागराज में गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से प्रशासन के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं. प्रयागराज में हर साल माघ मेले का आयोजन किया जाता है. इसमें देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर से लाखों की संख्या में साधू-संत, कल्पवासी और श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं. इनके ठहरने के लिए नदी के किनारे रेतीली जमीन पर अस्थायी तम्बू (टेंट) लगाए जाते हैं. यहां अस्थायी पुलिस चौकियां, बाजार, मेडिकल कैंप, शौचालय भी स्थापित किए जाते हैं. जहां तंबू लगाए जाते हैं, वहां जमीन अधिकतर पर अभी गंगा नदी का पानी बह रहा है.
हर साल सितंबर महीने के बाद गंगा में बाढ़ का पानी उतरने लग जाता है. इससे पानी का बहाव सिमट जाता है. मगर इस बार बारिश के पानी के देरी से आने और ऊपरी इलाकों से पानी छोड़े जाने के चलते गंगा का जलस्तर बढ़ा हुआ है. इससे रेतीली जमीन के समतलीकरण करने और तंबू लगाने में देरी हो रही है. फिलहाल प्रशासनिक अफसर वैकल्पिक रास्ता निकालने की जुगत में हैं. प्रयागराज में 15 जनवरी से 1 मार्च 2022 तक माघ मेले का आयोजन किया जाना है. मेला शुरू होने में करीब सवा महीने का समय ही बचा है.
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ओमिक्रॉन वैरिएंट ने भी बढ़ाई चिंता
देश में कोरोना के नए आए ओमिक्रॉन वैरिएंट से भी माघ मेले के आयोजन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. हालांकि प्रशासन कोरोना संक्रमण से भी निपटने के लिए पूरी तरह तैयारियां कर रहा है. रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट से लेकर मेला स्थल पर टेस्टिंग और टीकाकरण के कैंप लगाए जाएंगे. चुनावी साल होने से योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए भी ये मेला काफी अहम है. सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसी भी हाल में माघ मेले का आयोजन होकर रहेगा.
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