नई शिक्षा नीति: IIIT में 8 साल में मिलेगी सर्टिफिकेट से पीएचडी तक की डिग्री

Somya Sri, Last updated: Wed, 17th Nov 2021, 9:16 AM IST
  • नई शिक्षा नीति के तहत ट्रिपल आईटी विद्यालय स्तर पर 5+3+3 के आधार पर लागू किया जाएगा. जिससे 11वीं के छात्र भी इस कोर्स में प्रवेश ले सकेंगे. हालांकि फिलहाल इस कोर्स में इंटर पास छात्र ही प्रवेश ले सकते हैं. खास बात यह है कि एक बार प्रवेश लेने के बाद विद्यार्थी 8 साल में सर्टिफिकेट से लेकर पीएचडी तक की डिग्री हासिल कर सकेगा.
नई शिक्षा नीति: IIIT में 8 साल में मिलेगी सर्टिफिकेट से पीएचडी तक की डिग्री, प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रयागराज: नई शिक्षा नीति के तहत ट्रिपलआईटी ने 8 वर्षीय का एक नया पाठ्यक्रम डिजाइन किया है. जिसे विद्यालय स्तर पर लागू किया जाएगा. नई शिक्षा नीति के तहत ट्रिपल आईटी विद्यालय स्तर पर 5+3+3 के आधार पर लागू किया जाएगा. जिससे 11वीं के छात्र भी इस कोर्स में प्रवेश ले सकेंगे. हालांकि फिलहाल इस कोर्स में इंटर पास छात्र ही प्रवेश ले सकते हैं. खास बात यह है कि एक बार प्रवेश लेने के बाद विद्यार्थी 8 साल में सर्टिफिकेट से लेकर पीएचडी तक की डिग्री हासिल कर सकेगा. छात्र इस कोर्स में कितने साल भी पढ़ाई करेंगे उतने ही साल की उन्हें डिग्री मिलेगी.

जानकारी के मुताबिक नई शिक्षा नीति के तहत ट्रिपल आईटी के इस 8 वर्षीय अनूठे पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के बाद विद्यार्थी 19 साल में अपनी पढ़ाई पूरी कर सकेंगे. यानी विद्यार्थी अपनी 22 से 23 साल की उम्र में पीएचडी की डिग्री हासिल कर सकेगा. वहीं 11वीं के छात्र भी इस कोर्स में प्रवेश ले सकेंगे. हालांकि फिलहाल इस कोर्स में इंटर पास छात्र ही प्रवेश ले सकते हैं.

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क्या है नई शिक्षा नीति

नई शिक्षा नीति को केंद्रीय कैबिनेट ने जुलाई 2020 में स्वीकृति दी. केंद्र सरकार ने 34 साल पुरानी व्यवस्था को बदलते हुए नई शिक्षा नीति 2020 का ऐलान किया था. जिसके तहत 10+2 की नीति को बदलते हुए 5+3+3+4 के स्ट्रक्चर में बदल दिया गया. जिसके तहत पांचवी तक प्रीस्कूल, छठी से आठवीं तक मिडिल स्कूल, नौवीं से बारहवीं तक हाईस्कूल और बारहवीं के आगे ग्रेजुएशन होगा. माना जा रहा है कि नई शिक्षा नीति जुलाई 2022 से पूरे देश भर में लागू हो जाएगा. इसके लागू होने से पूरे देश की उच्च शिक्षा में बड़ा बदलाव आएगा. इस शिक्षा नीति के लागू होने के बाद भाषा के पाठ्यक्रम में असर दिखाई देगा. नए पाठ्यक्रम में गैर-प्रायोगिक विषयों में भी व्यवहारिक ज्ञान पर जोर दिया जाएगा.

मिली जानकारी के अनुसार, शासन के निर्देश पर स्नातक स्तर पर लागू होने वाले नए पाठ्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं. जिसमें सरकार ने भाषाओं के कोर्स में अनुवाद, स्क्रिप्ट राइटिंग समेत रोजगार से जुड़ी लेखन की दूसरी विधाओं को शामिल करने का सुझाव दिया है. इससे हिन्दी संस्कृत और अंग्रेजी समेत दूसरी भाषाओं के पाठ्यक्रम को अब ज्यादा उपयोगी बनाया गया है.

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