प्रयागराज माघ मेला: संगम पर श्रद्धालुओं का सैलाब, कड़ाके की ठंड में लगाई डुबकी

Komal Sultaniya, Last updated: Sun, 6th Feb 2022, 7:51 PM IST
  • वसंत पंचमी पर शनिवार को संगम पर आस्था की लहरें हर तन-मन को अभिसिंचित करती रहीं. माघ मेला के चौथे स्नान पर्व बसंत पंचमी पर शनिवार को भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने कड़ाके की ठंड में भोर से ही त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई.
प्रयागराज माघ मेला: संगम पर श्रद्धालुओं का सैलाब, कड़ाके की ठंड में लगाई डुबकी

वसंत पंचमी पर शनिवार को संगम पर आस्था की लहरें हर तन-मन को अभिसिंचित करती रहीं. भक्ति के प्रवाह में बहने के लिए लोग उसी तरह अतुर दिखे, जैसे नदियां समुद्र में मिलने के लिए कल कल निनाद करते हुए बढ़ रही हों. माघ मेला के चौथे स्नान पर्व बसंत पंचमी पर शनिवार को भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने कड़ाके की ठंड में भोर से ही त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई. 

स्नान को सकुशल संपन्न कराने के लिए मेला प्रशासन द्वारा ड्यूल कैमरे से निगरानी करते हुए संगम क्षेत्र के नुक्कड़-नुक्कड़ पर पुलिस बल की तैनाती किया गया है. जिससे आए हुए लोगों को कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराते हुए उनकी सुरक्षा किया जा सके. मेला प्रशासन ने दिन के 12 बजे तक सात लाख लोगों के संगम स्नान का दावा किया. 

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संगम पर विलुप्त मां सरस्वती के अवतरण पर श्रद्धा के अनंत भावों के साथ देश के कोने-कोने से निकले लाखों श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई. आधी रात से ही स्नान आरंभ हो गया. संगम समेत गंगा के नौ घाटों पर कड़ाके की ठंड और घने कोहरे के बीच डुबकी लगने लगी. गंगा, यमुना के साथ ज्ञान की गहरी जड़ों के रूप में विलुप्त सरस्वती की अनुभूति पाकर हर कोई धन्य होता रहा. भीड़ को देखते हुए शाम को ही वाहनों का प्रवेश संगम क्षेत्र में रोक दिया गया. 

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लाल मार्ग, काली मार्ग और त्रिवेणी मार्ग पर पौ फटने तक कहीं तिल रखने भर की जगह नहीं बची. स्नान- ध्यान के साथ रेती पर मां वाग्देवी की आराधना,आरती और दीपदान भी होता रहा. वहीं, संतों और कल्पवासियों के शिविरों में भी कहीं यज्ञ, अखंड पाठ तो कहीं संगीतमय कथाएं और कीर्तन किए जाते रहे. त्रिवेणी मार्ग पर भजनानंदी संतों की टोलियां जहां झांझ-मजीरे के साथ झूमती रहीं, वहीं शिविरों से समूहों में निकलतीं महिलाएं मां गंगा के गीत गाते हुए संगम की ओर बढ़ती रहीं. संगम के अलावा अन्य स्नान घाटों पर महिलाएं डुबकी लगाने के साथ हल्दी-चंदन के टीके लगाकर कामनाओं के दीप जलाती रहीं.

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