अतीक अहमद ने क्यों छोड़ा अपना गढ़? पत्नी ने बताई इलाहाबाद पश्चिम से नामांकन न करने की वजह

Jayesh Jetawat, Last updated: Sun, 13th Feb 2022, 3:54 PM IST
  • यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जेल में बंद पूर्व सांसद और बाहुबली नेता अतीक अहमद ने अपना गढ़ छोड़ दिया है. अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन ने बताया कि उन्होंने एआईएमआईएम के टिकट पर इलाहाबाद पश्चिम सीट से नामांकन क्यों नहीं किया.
अतीक अहमद और उनकी पत्नी शाइस्ता परवीन (फाइल फोटो)

प्रयागराज: पूर्वांचल की राजनीति में कभी अपना दमखम दिखाने वाले बाहुबली नेता और पूर्व सांसद अतीक अहमद का प्रभाव अब कमजोर पड़ गया है. प्रयागराज (पूर्व इलाहाबाद) में कभी उनकी तूती बोलती थी. अहमदाबाद की जेल में बंद अतीक अहमद इलाहाबाद पश्चिम सीट से कई बार विधायक रहे, अपने भाई अशरफ को विधायक भी बनाया. मगर अब उन्होंने अपना गढ़ छोड़ दिया है. इसका कारण पिछले 15 सालों से मिल रही हार को माना जा रहा है. हाल ही में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन को इलाहाबाद पश्चिम से टिकट दिया. मगर शाइस्ता ने नामांकन ही नहीं किया. अतीक अहमद का परिवार अपने गढ़ शहर की पश्चिमी सीट से लड़ने की हिम्मत भी नहीं जुटा सका.

चुनाव से ठीक पहले अतीक अहमद की पत्नी और बेटा अली राजनीति में सक्रिय हुए. अतीक ने जेल से ही प्रयागराज की जनता के लिए भावुक पत्र भी लिखा. मगर अली के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद वह फरार हो गया. अतीक अहमद ने जेल में रहते हुए ही असदुद्दीन ओवैसी के साथ राजनीति की नई पारी शुरू करने का ऐलान किया. एआईएमआईएम ने उनकी पत्नी शाइस्ता को इलाहाबाद पश्चिम से उम्मीदवार बनाया. मगर अतीक अहमद ने उनका नामांकन रुकवा दिया.

रिपोर्ट्स के मुताबिक शाइस्ता परवीन का कहना है कि उनके पति अतीक अहमद के मना करने पर उन्होंने नामांकन नहीं किया है. वहीं एआईएमआईएम के जिलाध्यक्ष शाह आलम ने कहा कि शाइस्ता ने जहां से टिकट मांगा, पार्टी ने उन्हें दिया. अब चुनाव लड़ना या नहीं लड़ना उनका फैसला है. अतीक अहमद के करीबियों के मुताबिक उनकी सपा और अपना दल (कमेरावादी) के साथ दोबारा जुड़ने की कोशिशें चलती रहीं. प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव ने कुछ जोर भी लगाया लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. अब विधानसभा हार के डर से अतीक के परिवार ने चुनाव से किनारा करना ही बेहतर समझा.

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30 साल में पहली बार अतीक अहमद के परिवार से कोई चुनावी मैदान में नहीं

तीन दशक में पहली बार ऐसा हुआ है कि अतीक के परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव नहीं लड़ रहा है. बसपा चीफ मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद अतीक अहमद की उल्टी गिनती शुरू हुई थी. इसके बाद से उनका प्रभाव क्षेत्र में कमजोर हुआ. योगी आदित्यनाथ सरकार आने के बाद उनका पूरा सियासी साम्राज्य ध्वस्त हो गया. इसके चलते सपा ने भी उनसे किनारा कर लिया. ओवैसी ने उनको सहारा तो दिया लेकिन परिवार चुनाव लड़ने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाया.

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