Holashtak 2022: 10 मार्च से लगेगा होलाष्टक, जानें 8 दिन अशुभ नक्षत्र के 5 रहस्यमय कारण
- होली के 8 दिन पहले होलाष्टक लगता है. इन आठ दिनों में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते. इस बार गुरुवार 10 मार्च से होलाष्टक शुरू हो रहा है. इन 5 रहस्यमय कारणों से जानते हैं होलाष्टक के दौरान 8 दिन के अशुभ नक्षत्रों के बारे में.

देशभर में होली का त्योहार शुक्रवार 18 मार्च को मनाया जाएगा. होली से ठीक आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाता है, जोकि होलिका दहन के बाद खत्म होता है. होलाष्टक के दौरान विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन जैसे सभी शुभ कार्यों के करने पर मनाही होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है. आइये जानते हैं होलाष्टक की ये 5 कहानियां जिसमें बताया गया गया है कि होलाष्टक के दौरान क्यों ग्रह उग्र हो जाते हैं, जिस कारण ये समय अशुभ माना जाता है.
होलाष्टक से जुड़ी कथाएं.
1. भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद की- इस कथा के अनुसार विष्णु भगवान का भक्त होने के कारण प्रह्लाद के पिता हिरणयकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद की भक्ति भंग करने के लिए 8 दिनों तक कई कोशिशे कीं. उन्होंने प्रह्लाद को कई कष्ट और यातनाएं दिए. इसलिए होलाष्टक के 8 दिनों में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. लेकिन होलिकादहन के बाद जब प्रह्लाद जीवित बच जाता है तो फिर से ये कार्य शुरू हो जाते हैं और खुशी से होलिका के दहन के अगले दिन रंग बिरंगी होली मनाई जाती है.
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2.कामदेव के भस्म होने की- हिमालय की पुत्री पार्वती भगवान भोलेनाथ से विवाह करना चाहती थी, लेकिन शिवजी तपस्या में लीन थे. तब कामदेव पार्वती की सहायता के लिए आए. उन्होंने प्रेम बाण चलाया जिससे शिवजी की तपस्या भंग हो गई. इससे शिवजी को गुस्सा आया और क्रोध में उन्होंने तीसरी आंख खोल कामदेव को भस्म कर दिया. पार्वती की अराधना देख शिवजी ने उससे विवाह कर लिया. जिस दिन शिवजी ने कामदेव को भस्म किया था. उस दिन फाल्गुन शुक्ल अष्टमी थी. तब से होलाष्टक की प्रथा शुरू हो गई.
3. श्रीकृष्ण की कथा- होली का पर्व एक दिन का ना होकर पूरे 8 दिनों का त्योहार होता है. श्री कृष्ण 8 दिनों तक गोपियों संग होली खेली और धूलैंडी के दिन रंग वाले कपड़ों को अग्नि के हवाले कर दिया तब से 8 दिन तक यह पर्व मनाया जाने लगा.
4.ज्योतिष के अनुसार- ज्योतिषियों के अनुसार होलाष्टक के 8 दिनों में मौसम में कई परिवर्तन होते हैं, जिससे व्यक्ति कई रोगों की चपेट में आ सकता है. इसलिए फाल्गुन शुल्क अष्टमी से प्रकृति के नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो जाता है.
5. ग्रह हो जाते हैं उग्र- अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को अश्वनी, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को, बुध चतुर्थी को मंगल, और पूर्णिमा को राहु जैसे ग्रह नक्षत्र उग्र स्वभाव के हो जाते हैं. इसलिए शुभ कार्य इस दौरान वर्जित माने जाते हैं. हालांकि होलाष्टक के 8 दिनों तक व्रत, पूजन व हवन इत्यादि के लिए समय अच्छा माना जाता है.
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