मानव तस्करी को लेकर हेमंत सोरेन सरकार सख्त, झारखंड से दूर रहने की दी चेतावनी
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मानव तस्करों को झारखंड से दूर रहने की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार हरेक झारखंडवासी को मानव तस्करी से बचाने में प्रतिबद्ध है.

फरवरी 2020 में झारखंड के मुख्यमंत्री पंद पर कार्यभार संभालने के बाद से हीं हमेंत सोरेन सभी जिलों के उपायुक्त को मानव तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिए थे. उन्होंने कहा था कि झारखंड से मानव तस्करी के कलंक को मिटाना उनकी सरकार की प्राथमिकता है. अब एक बार फिर से हेमंत सोरेन ने मानव तस्करी को लेकर सख्त चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार मानव तस्करी से हरेक झारखंडवासी को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने तस्करी की शिकार एतबरिया उरांव की 12 साल बाद हो रही घर वापसी पर ये बातें कही है.
लोहरदगा के भंडरा प्रखंड के मसमानो गांव में रहने वाली एतबरिया उरांव को नेपाल से रेस्क्यू कर 12 साल बाद वापस झारखंड लाया गया. 12 साल पहले वह अपने पिता के साथ ईंट भट्टे पर काम करने के लिए उत्तर प्रदेश गई थी, तब एतबरिया 20 साल की थी. इसके बाद वह यही से खो गई थी. पिता ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में इससे संबंधित बेटी के गुम होने का मामला दर्ज कराया था. कई सालों तक एतबरिया का कुछ पता ना चलने पर उसके माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्य उसके लौटने की आस छोड़ चुके थे. इस घटना को 12 साल बीत चुके हैं और इसबीच एतबरिया के पिता की मौत हो चुकी है.
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मुख्यमंत्री के निर्देश पर मानव तस्करी का शिकार हुई गुमशुदा बेटी एतबिया 12 साल बाद अपने परिजनों से मिल पाई. राज्य की गुमशुदा आदिवासी बेटी एतबरिया को सुरक्षित नेपाल से रेस्क्यू कर झारखंड लाया गया है अब वह अपने परिवार के साथ रहेगी.एतबरिया के घर लौटने पर बड़ी बहन ने मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया है.
एतबरिया के नेपाल में होने की जानकारी एक आश्रम द्वारा ट्वीट के जरिए हुई थी. इसके अलावा हरियाणा पुलिस के एएसआई राजेश कुमार जब एक अन्य मामले की जांच कर रहे थे तो इस दौरान उन्हें नेपाल समाजसेवी ने एतबरिया की जानकारी दी थी. इसके बाद मुख्यमंत्री ने एतबरिया को वापस झारखंड लाने का आदेश किया. उसकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए नेपाल और भारत के दूतावासों के साथ समन्वय बनाया गया. गुरुवार तीन सितंबर 2021 को एतबरिया काठमांडू से आईजीआई हवाई अड्डा नई दिल्ली पहुंची. यहां से उसे वापस रांची लाकर लोहरदगा स्थित उसके गांव पहुंचाया गया.
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