झारखंड में भोजपुरी पर बवाल, बिहार के सिंगर दीपक ठाकुर ने की CM सोरेन की तारीफ

Mithilesh Kumar Patel, Last updated: Sat, 22nd Jan 2022, 11:37 PM IST
  • सोरेन सरकार ने झारखंड में तृतीय श्रेणी के पदों की बहाली परीक्षा के लिए भोजपुरी समेत इन 4 को क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में शामिल कर दिया है. इसे लेकर झामुमो व आजसू पार्टी ने सीएम के ख‍िलाफ शंखनाद कर द‍िया है. वहीं दूसरी तरफ बालीवुड गायक दीपक ठाकुर ने सीएम सोरेन के इस फैसले की तारीफ की है.
बालीवुड गायक दीपक ठाकुर और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

रांची.  झारखंड की सोरेन सरकार ने राज्य में तृतीय श्रेणी के पदों पर की जाने वाली बहाली परीक्षा के लिए क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में भोजपुरी, मगही, अंग‍िका व मैथ‍िली भाषा को भी शामिल कर दिया है. मतलब आने वाले दिनों इन नए भाषाओं में भी भर्ती परीक्षा कराए जा सकेंगे. मगर सीएम सोरेन के इस फैसले के बाद उनके अपने ही पार्टी (झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी झामुमो) के कुछ नेताओं व ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन यानी आजसू पार्टी ने सीएम के ख‍िलाफ शंखनाद कर द‍िया है. वहीं दूसरी तरफ बालीवुड गायक दीपक ठाकुर ने सीएम सोरेन के इस फैसले की सराहना की है.

मशहूर बालीवुड गायक दीपक ठाकुर ने उनके फैसले को लेकर कहा क‍ि भोजपुरी को क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में शाम‍िल कर झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने शानदार पहल की है. इसके ल‍िए वह बधाई के पात्र हैं. दीपक ठाकुर ने कहा कि मैं सीएम सोरेन प्रत‍ि आभार व्‍यक्‍त करता हूं.क्योंकि उन्‍होंने भोजपुरी को सम्‍मान द‍िया है.

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बालीवुड के गायक व ब‍िहार के मुजफ्फरपुर निवासी दीपक ठाकुर ने कहा क‍ि झारखंड में बड़ी संख्‍या में भोजपुरी भाषी लोग रहते हैं. झारखंड ब‍िहार का ह‍िस्‍सा रहा है. वहां बस चुके ब‍िहार के लोगों के ल‍िए भोजपुर मां के समान है. भोजपुरी को क्षेत्रीय भाषा की सूची में शाम‍िल करने से युवाओं को नौकरी में अवसर म‍िलेगा. उन्होंने कहा कि भोजपुर भाषा का व‍िरोध करना कुछ लोगों का राजनीत‍िक स्‍वार्थ हो सकता है. ठीक वैसे ही झारखंड में हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो के जो नेता और कार्यकर्ता भोजपुरी भाषा का व‍िरोध कर रहे हैं, उनका भी कोई न कोई राजनीत‍िक मकसद होगा. संभव है क‍ि उनके क्षेत्र में इस भाषा के लोग कम होंगे. वह अपने वोट बैंक को दुरुस्‍त रखने के ल‍िए ऐसा बोल रहे होंगे.

दीपक ठाकुर ने कहा क‍ि प‍िछले कई दशक से हम धर्म, जात‍ि और क्षेत्र के नाम पर लड़ते आ रहे हैं. अब इस दौर में भाषा के नाम पर हमें नहीं लड़ना चाह‍िए. भाषा कोई भी हो, उसका सम्‍मान करना चाह‍िए. अपने राजनीत‍िक स्‍वार्थ की पूर्त‍ि के ल‍िए भाषा को इस्‍तेमाल नहीं करना चाह‍िए. भाषा हमारे द‍िलों को जोड़ने का काम करती है. र‍िश्‍तों को मजबूत बनाती है.

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