पत्थलगड़ी आंदोलन में दर्ज केस अबतक नहीं हुए वापस, न्याय के लिए रख दिया पेड़ गिरवी

Somya Sri, Last updated: Fri, 10th Dec 2021, 9:52 AM IST
  • झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार जब सत्ता में आई तब उन्होंने साल 2019 में पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े सभी लोगों पर दर्ज केस को वापस करने का ऐलान किया था. लेकिन लेकिन 2 साल बीत चुके हैं और ग्रामीण अब भी न्याय के इंतजार में है. खूंटी जिले के केवरा गांव निवासी नेता नाग पत्थलगड़ी के दो मामलों में 4 साल से दुमका जेल में बंद है. उनकी पत्नी ने न्यायिक खर्चे के लिए घर के सारे पेड़ और जमीन को गिरवी रख दिया.
पत्थलगड़ी आंदोलन में दर्ज केस अबतक नहीं हुए वापस, न्याय के लिए रख दिया पेड़ गिरवी (फाइल फोटो, फोटो साभार- हिदुंस्तान टाइम्स)

रांची: झारखंड के खूंटी जिले में पत्थलगड़ी आंदोलन के 3 साल बीत चुके हैं. लेकिन ग्रामीणों ने अब तक इस विवाद का दंश झेल रहे हैं. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार जब सत्ता में आई तब उन्होंने साल 2019 में पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े सभी लोगों पर दर्ज केस को वापस करने का ऐलान किया. लेकिन 2 साल बीत चुके हैं अब तक पत्थलगड़ी मामलों की वापसी में विलंब हो रहा है. ग्रामीण अब भी न्याय के इंतजार में है. खूंटी जिले के केवरा गांव निवासी नेता नाग पत्थलगड़ी के दो मामलों में 4 साल से दुमका जेल में बंद है. उनकी पत्नी न्यायिक खर्चे के लिए घर के सारे पेड़ और जमीन को गिरवी रख दिया है. ताकि उस पैसे से पति के मुकदमा का खर्च उठाया जा सके. यह पेड़ गुणवत्तापूर्ण लकड़ी और फल दायक हैं.

जानकारी के मुताबिक साल 2018 में आदिवासियों द्वारा उठाए गए पत्थलगड़ी आंदोलन में अब तक जिला समितियों के 30 प्राथमीकियों में केवल 60 फ़ीसदी मामलों की वापसी की ही अनुशंसा की गई है. इस वजह से ग्रामीण अब तक न्यायिक प्रक्रियाओं से जूझ रहे हैं. ग्रामीणों को फिक्र है कि हेमंत सोरेन सरकार के ऐलान के 2 साल बाद भी केस वापसी क्यों नहीं हो रहे हैं. राज्य महिला आयोग के पूर्व सदस्य डॉ वासवी किड़ो के मुताबिक पिछली सरकार के शासनकाल में पत्थलगड़ी मामले में खूंटी जिला में 23, सरायकेला खरसावां में 5 और पश्चिमी सिंहभूम में 2 मामले दर्ज थे. जिसमें 20 मामले व्यक्तिगत रूप से समाज के कार्यकर्ताओं के ऊपर किए गए थे. जिन्हें हटाने का आश्वासन मिला है.

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मालूम हो कि अपनी जमीनी हक के लड़ाई के लिए साल 2018 में झारखंड के खूंटी जिला सहित कई जिलों में आदिवासियों ने बड़े-बड़े पत्थर शहर के बाहर शिलापट्ट के तौर पर गाड़ दिया था. इन पत्थरों पर उन्होंने भारत के संविधान और पांचवी अनुसूची का जिक्र किया था. जिसमें मानवाधिकार का जिक्र है. इस आंदोलन के बाद कई ग्रामीणों पर मुकदमा दर्ज किया गया था. कई को जेल भेज दिया गया था. वहीं ग्रामीण अब भी न्याय के इंतेजार में हैं.

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