झारखंड में आंगनबाड़ी सेविकाओं के लिए खुशखबरी, नियमावली बनाने की चल रही प्रक्रिया, जानें मांग

Sumit Rajak, Last updated: Fri, 25th Feb 2022, 12:12 PM IST
  • झारखंड सरकार पारा शिक्षकों की तरह आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाओं को स्थायी करते हुए मानदेय बढ़ाएगी. इनके लिए सेवा शर्त नियमावली लागू होगी. महिला एवं बाल विकास मंत्री जोबा मांझी, शिक्षा मंत्री जगरनाथ  महतो और कृषि एवं पशुपालन मंत्री बादल पत्रलेख ने आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका को यह आश्वासन दिया.
फाइल फोटो

रांची.  झारखंड सरकार पारा शिक्षकों की तरह आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाओं को स्थायी करते हुए मानदेय बढ़ाएगी. इनके लिए सेवा शर्त नियमावली लागू होगी. महिला एवं बाल विकास मंत्री जोबा मांझी, शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो और कृषि एवं पशुपालन मंत्री बादल पत्रलेख ने आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका को यह आश्वासन दिया.  झारखंड बोकारो और अन्य जिलों से बड़ी संख्या में पहुंचीं सेविका, सहायिका को संबोधित करते हुए मंत्रियों ने बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सभी की मांगे पुरी करेंगे. उन्हें आंदोलन करने की आवश्यकता नहीं है.

डोरंडा स्थित चिड़िया प्राधिकरण सभागार में आयोजित कार्यक्रम में सेविका व सहायिकाओं को संबोधित करती हुई मंत्री जोबा मांझी ने बताया कि पारा शिक्षकों की तरह उनकी परेशानियों का हल निकाला जाएगा. पिछली सरकार में उनपर लाठियां चली थीं, जबकि वर्तमान सरकार में एक बार में तो नहीं, लेकिन बारी-बारी से उनकी सभी की मांगें पूरी की जाएगी. उन्होंने कैबिनेट में इसपर चर्चा होने का आश्वासन दिया.  मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि मुख्यमंत्री ने आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका के लिए सोच लिया है कि क्या करना है. उन्हें आंदोलन करने की जरूरत नहीं है. वहीं, मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा की तमाम मुद्दे को देखते हुए उनकी मांगें पूरी करने के लिए हेंत सरकार हर संभव प्रयास करेगी.

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आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका की मांगें

सेविका को तृतीय वर्ग और सहायिका को चतुर्थ वर्ग की श्रेणी के कर्मचारियों के समान वेतनमान लागू किया जाए. इसके साथ ही  बनाई जाए. संविदा कर्मियों के समान महंगाई भत्ता, चिकित्सा भत्ता, यात्रा भत्ता दिया जाए. वहीं उम्र सीमा की बाध्यता को खत्म कर शत-प्रतिशत पदों पर वरीयता के आधार पर महिला पर्यवेक्षिका के पदों पर प्रोन्नति किया जाए. साथ ही आश्रितों को अनुकंपा पर नौकरी का लाभ दिया जाए. सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन, जीवन यापन हेतु एकमुश्त पांच से दस लाख की स्वीकृति दी जाए.

 

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