Chara Ghotala: लालू यादव की जमानत पर शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई

Komal Sultaniya, Last updated: Thu, 3rd Mar 2022, 2:58 PM IST
  • चारा घोटाला के डोरंडा ट्रेजरी से घपला मामले में राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर कल यानी 4 मार्च को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई होगी.
Chara Ghotala: लालू यादव की जमानत पर शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई

रांची. चारा घोटाला के डोरंडा ट्रेजरी से घपला मामले में राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर कल यानी 4 मार्च को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई होगी. इस मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव की ओर से बुधवार को जल्द सुनवाई करने का आग्रह किया गया था. झारखंड हाईकोर्ट ने लालू प्रसाद के आग्रह को स्वीकार कर लिया और 4 मार्च को सुनवाई की तारीख निर्धारित कर दी.

लालू प्रसाद यादव के अधिवक्ता प्रभात कुमार द्वारा उनकी उम्र और स्वास्थ्य को आधार बनाते हुए जमानत देने की गुहार अदालत से लगाई गई है. याचिका में कहा गया है कि लालू प्रसाद काफी बीमार है इसलिए उन्हें राहत दिया जाए. याचिका में यह भी कहा गया है कि इस मामले में जितनी सजा सुनाई गई है उसका आधा समय वह जेल में गुजार चुके हैं.

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बता दें कि झारखंड के डोरंडा कोषागार से लालू प्रसाद यादव के मुख्यमंत्री रहते वर्ष 1990 से 95 के बीच 139.35 रुपए की अवैध निकासी हुई थी. चारा घोटाले के सबसे बड़े केस में लालू प्रसाद को 5 साल कैद और 60 लाख जुर्माने की सजा सुनाई गई. बीते 15 फरवरी को सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराते हुए जेल भेज दिया था. स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने के कारण जेल प्रशासन ने बेहतर इलाज के लिए लालू प्रसाद को रिम्स के लिए ट्रांसफर कर दिया था. इस मामले में 21 फरवरी को अदालत द्वारा सजा सुनाई गई थी. बता दें कि, चारा घोटाले के 5 मामलों में अब तक लालू प्रसाद यादव को सजा दी गई है. इनमें से 4 मामलों में वह जमानत पर हैं. इस पांचवें केस में भी उनकी ओर से जमानत दिए जाने की गुहार लगाई गई है.

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डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के इस मामले में पशुओं को फर्जी रूप से स्कूटर पर ढोने की कहानी है. यह उस वक्त का देश का पहला मामला माना गया जब बाइक और स्कूटर पर पशुओं को ढोया गया हो. यह पूरा मामला 1990-92 के बीच का है. CBI ने जांच में पाया कि अफसरों और नेताओं ने मिलकर फर्जीवाड़े का अनोखा फॉमूर्ला तैयार किया. 400 सांड़ को हरियाणा और दिल्ली से कथित तौर पर स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया, ताकि बिहार में अच्छी नस्ल की गाय और भैंसें पैदा की जा सकें. पशुपालन विभाग ने 1990-92 के दौरान 2,35, 250 रुपए में 50 सांड़, 14, 04,825 रुपए में 163 सांड़ और 65 बछिया खरीदीं.

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