मंत्री, विधायक सरकारी स्कूल में पढ़ायें अपने बच्चे- शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो

Smart News Team, Last updated: Fri, 11th Mar 2022, 11:19 AM IST
  • हेमंत सोरेन सरकार ने विधानसभा में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के बजट में 6 करोड़ 37 लाख 75 हजार का अनुदान पारित किया. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने सदन में कहा कि प्रदेश में सारे मंत्री, विधायकों को और अफसरों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना चाहिए, तब जाकर शिक्षा का स्तर सुधरेगा.
सदन में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के बजट पर चर्चा करते हुए विपक्ष को आड़े हाथों लिया

रांची. विधानसभा में शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने पिछली सरकार पर जमकर हमला बोला. सदन में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के बजट पर चर्चा करते हुए विपक्ष को आड़े हाथों लिया. बजट पेश करने के बाद राज्य सरकार की तरफ से बोलते हुए जगरनाथ महतो ने कहा कि प्रदेश में सारे मंत्री, विधायकों को और अफसरों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना चाहिए, तब जाकर शिक्षा का स्तर सुधरेगा. शिक्षा मंत्री ने बताया कि झारखंड के हर गांव में लोग अंग्रेजी शिक्षा पाने के लिए लालायित हैं.

सरकार हर जिले, प्रखंड और पंचायतों में अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोलेगी. इसके अलावा 127 प्लस टू स्कूल पहले ही खोले जा चूके हैं. शिक्षा मंत्री के भाषण के बाद सदन में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के लिए 6 करोड़ 37 लाख 75 हजार का अनुदान ध्वनिमत से पारित हो गया. विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए जगरनाथ महतो ने राज्य सरकार की तारीफ की. महतो ने कहा कि हमारी हमारी सरकार कागज-कलम पर नहीं, बल्कि धरातल पर काम उतारने पर विश्वास करती है. 26 महीने से हमारी सरकार धरातल पर काम उतार रही है.

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पिछली सरकारों के शासनकाल में शिक्षकों पर लाठियां चलाई गई थी. महतो ने बताया कि पिछली सरकार में क्या काम हुआ इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि उस वक्त की शिक्षा मंत्री अपने विधानसभा में पुस्तकालय तक नहीं बनवा पाई. महतो ने अटल बिहारी को याद करते हुए कहा कि उन्होनें प्रधानमंत्री रहते हुए सर्व शिक्षा अभियान शुरू किया था. जिसे पूर्व की रघूवर सरकार ने बंद कर दिया.

शिक्षा मंत्री के बाद बीजेपी विधायक अनंत ओझा ने राज्य सरकार पर हमला किया. अनंत ओझा ने कहा कि कोविड काल में निजी विघालयों से सरकार फी माफ नही करा पायी. आगे उन्होंने कहा कि चुनाव के वक्त निश्चय पत्र के जरिए झामुमो, राजद और कांग्रेस के द्वारा शिक्षा की स्तर में बेहतरी के लिए कई वादे किए गए थे, लेकिन निश्चय पत्र का कोई भी काम नहीं हुआ.

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