रांची: नई पेंशन योजना के अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ का धरना-प्रदर्शन

Komal Sultaniya, Last updated: Fri, 11th Feb 2022, 4:12 PM IST
  • झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारियों ने विभिन्न मांगों को लेकर बैनर तले सभी जिला मुख्यालयों में शुक्रवार को धरना-प्रदर्शन किया. नई पेंशन योजना को निरस्त कर सभी राज्य कर्मियों को पुरानी पेंशन योजना में शामिल करने की मांग की.
रांची: नई पेंशन योजना के अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ का धरना-प्रदर्शन (फाइल फोटो)

रांची. झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारियों ने विभिन्न मांगों को लेकर बैनर तले सभी जिला मुख्यालयों में शुक्रवार को धरना-प्रदर्शन किया. नई पेंशन योजना को निरस्त कर सभी राज्य कर्मियों को पुरानी पेंशन योजना में शामिल करने की मांग की. कर्मचारियों की मुख्य मांगों में नई पेशन योजना को समाप्त करने, सभी विभागों के रिक्त पदों पर नियमित नियुक्ति, संविदा पर कार्य कर रहे लिपिक, ऑपरेटर की स्थायीकरण, मनरेगा कर्मियों, एएनएम, जीएनएम, एमपीडब्लू, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं, पारा शिक्षकों को चिकित्सा भत्ता, मंहगाई भत्ता का भुगतान के साथ नियमित करने, रोके गए डीए को मुक्त करना आदि शामिल है.

बता दें कि, सभी मानदेय, संविदा एवं अनुबंध कर्मी को नियमित करने साथ ही राज्य कर्मियों का सेवानिवृति जिनकी उम्र सीमा 65 वर्ष करने, प्रोन्नति पर लगी रोक हटाने की मांग करने के साथ चतुर्थवर्ग कर्मियों को तृतीय वर्ग में प्रोन्नत करने, आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका, लघु सेविका एवं पोषण सखी के साथ न्याय करने, मुफ्फसिल कार्यालयों में पांच दिवसीय कार्य दिवस निर्धारण करने सहित 25 सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. सभी जिला मुख्यालय में उपायुक्त कार्यालय के समझ प्रदर्शन करने के बाद महासंघ के सदस्यों ने मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा.

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झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रदेश महामंत्री अशोक कुमार सिंह ‘नयन’ ने कहा कि महासंघ लगातार 25 सत्री मांग सरकार से कर रहे हैं, लेकिन सरकार का ध्यान अभी तक कर्मचारियों पर नहीं है. कहा कि आज मांगपत्र सौंपकर पंचायत सचिव, राजस्व उप-निरीक्षक, लिपिक, जनसेवक का ग्रेड-पे अपग्रेड करने के मामले में भी जल्द निर्णय लेने का आग्रह किया किया गया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से आग्रह है कि वे कर्मचारियों की मांगों को समझें और यथाशीघ्र निर्णय लें. यदि अब मांगों पर विचार नहीं किया गया तो झारखंड कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर उग्र आंदोलन पर जाने की बाध्यता होगी.

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