अंडमान में बंधुवा मजदूर था पिता, बेटे ने सीएम सोरेन से लगाई थी फरियाद, 30 साल बाद हुई घर वापसी
- फुचा महली 30 साल से अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में बंधुआ जिंदगी जी रहा था. किसी तरह प्रदेश सरकार को जब यह खबर पहुंची तो उन्होंने आदेश देकर फुचा महली को वापस रांची बुलाया. मुख्यमंत्री के एक आदेश पर एक आम इंसान की पल भर में जिंदगी बदल गई.

रांची: रांची से एक हैरान कर देने वाला वाक्या सामने आया है. जहां रांची के गुमला के फोरी गांव में रहने वाला फुचा महली 30 साल से अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में बंधुआ जिंदगी जी रहा था. किसी तरह प्रदेश सरकार को जब यह खबर पहुंची तो उन्होंने आदेश देकर फुचा महली को वापस रांची बुलाया. मुख्यमंत्री के एक आदेश पर एक आम इंसान की पल भर में जिंदगी बदल गई. फुचा ने आस छोड़ दी थी कि कभी वो घर वापस आ पायेगा.
मामला क्या है?
जानकारी के मुताबिक फुचा महली आज से करीब 30 साल पहले अंडमान निकोबार दीपसमूह पर एक कंपनी में काम करने गया था. कुछ सालों तक उसने वहां ठीक ढंग से काम किया. लेकिन बाद में वह कंपनी बंद हो गई. जिसके बाद वहीं का एक व्यक्ति उससे बंधुआ मजदूरी करवाने लगा. उस शख्स ने फुचा महली को वापस रांची जाने नहीं दिया. फुचा अपने परिवार से संपर्क स्थापित करने में भी असमर्थ था. फुचा महली का बेटा रंथू ने किसी तरह अंडमान निकोबार दीपसमूह के रहने वाले उस शख्स से संपर्क साधा जिसने फुचा को बंधुआ ज़िंदगी दी. रंथू को पता चला कि उसके पिता वहां फंसे है. इसलिए उसने तुरंत मुख्यमंत्री हेमेंत सोरेन से और श्रम मंत्रालय से संपर्क साधा. मुख्यमंत्री ने मामले की जानकारी ली और श्रम विभाग को जल्द से जल्द फुचा को वापस लाने का आदेश दिया.
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जिसके बाद फुचा महली 30 सालों बाद अपने घर लौटे. उनके घर लौटने के करीब 2 दिनों बाद उन्हें सरकार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ा गया. उनकी पत्नी के नाम से राशन कार्ड आवंटित किया गया. परिवार को तत्काल सहायता पहुंचाते हुए 1 क्विंटल चावल और 2000 की आर्थिक सहायता पहुंचाई गई. फुचा ने कहा कि, उन्होंने घर वापस लौटने की उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन मुख्यमंत्री के सहयोग से वह वापस आ सके. आज वह वर्षों बाद अपने परिवार के साथ है. वह अपनी इस खुशी को बयां नहीं कर सकते. मुख्यमंत्री के आदेश पर प्रशासन उन्हें और उनके परिवार को विभिन्न योजनाओं से भी जोड़ रहा है. जिससे हम अब तक वंचित थे.
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