झारखंड में फिर शुरू हुआ भाषा विवाद, प्रदर्शन कर रहे नेता हिरासत में
- राजधानी रांची में एक बार फिर से भाषा विवाद का मुद्दा उठ खड़ा हुआ है. भोजपुरी मगही मैथिली भाषा के समर्थकों ने रविवार को झारखंड बंद का ऐलान किया है. पुलिस ने अखिल भारतीय भोजपुरी मैथिली मगही अंगिका मंच के नेताओं को हिरासत में ले लिया है. लोग हेमंत सोरेन सरकार से अपना फैसला बदलने की मांग कर रहे हैं.

रांची. राज्य में भाषा विवाद एक बार फिर से गरमा गया है. रविवार को लोगों ने सड़को पर आकर झारखंड सरकार का जमकर विरोद्ध किया. भोजपुरी मगही मैथिली भाषा के समर्थकों ने रविवार को झारखंड बंद का ऐलान किया है. 12 बजे जब रांची के मेन रोड इलाके में समर्थक दुकाने बंद कराने निकले तो पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. अखिल भारतीय भोजपुरी मैथिली मगही अंगिका मंच के नेताओं को हिरासत में लेने के बाद सब को कोतवाली थाना परिसर में रखा गया है. इनके पास से पुलिस ने झंडा और बैनर जब्त किए हैं.
झारखंड बंद को असफल बनाने के लिए पुलिस प्रशासन ने कोतवाली थाना परिसर से बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों के साथ फ्लैग मार्च निकाला. जिसमें कई डीएसपी, कई थाना के प्रभारी और महिला एवं पुरुष पुलिसकर्मी शामिल थे. पुलिस प्रशासन द्वारा ये फ्लैग मार्च शहर के पुस्तक पथ से होते हुए शहीद चौक और वहां से कचहरी रोड की ओर निकला है.
वहीं मैथिली भाषा के समर्थकों द्वारा झारखंड बंद के ऐलान का असर देखने को नही मिला. रविवार होने की वजह से शहर के मुख्य मार्गों पर अन्य दिनों की तरह वाहनों और लोगों की आवाजाही कम है.
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इसके अलावा रविवार होने की वजह से दुकाने भी बंद रही. जानकारी के मुताबिक इलाके के प्रमुख व्यापारिक बाजारों में ज्यादातर दुकानें बंद है. वहीं कुछ दुकानों में अन्य दिनों की तरह कारोबारी गतिविधि चल रही है.
राजधानी रांची में किसी भी प्रकार का बवाल न हो इसके लिए शहर के प्रमुख इलाकों और चौक चौराहे पर अधिकारियों के साथ बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. झारखंड बंद को सफल बनाने के लिए मगही भोजपुरी मैथिली संस्कृति बचाओ मंच के कार्यकर्ता रविवार को बाजार में घूम-घूम कर झारखंड सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
कार्यकर्ताओं ने हेमंत सोरेन सरकार द्वारा मगही भोजपुरी मैथिली भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा की सूची से बाहर किए जाने का विरोध किया और इसे गलत बताया. मीडिया से बात करते हुए नेताओं ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ेगा.
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