रांची: प्राइवेट स्कूलों में एडिमशन के लिए RTI कोटे से आए 89 फीसदी आवेदन रिजेक्ट
- अपना संगठन संस्था ने बताया कि रांची के निजी स्कूलों में आरटीई कोटे से हुए एडिमशन के बारे में जानने के लिए डाली आरटीआई में पता चला कि 2019-20 में रांची के प्राइवेट स्कूलों में 89 फीसदी आरटीई आवेदनों को रिजेक्ट किया गया. जिस वजह से आरटीई कोटे की 74 फीसदी सीटें खाली रहीं .

राँची. रांची के प्राइवेट स्कूलों में राइट टू एजुकेशन(आरटीई) कोटा के तहत होने वाले एडमिशन बहुत कम किए जा रहे हैं. 2019-20 में रांची में आरटीई के तहत आए आवेदनों में 89 फीसदी आवेदनों को रिजेक्ट कर दिया गया था. ये बात अपना संगठन की आरटीआई के जवाब में सामने आई हैं. रांची में इस साल निजी स्कूलों में आरटीई की 74 फीसदी सीटें खाली रहीं.
इस संस्था की स्वाति नारायण ने कहा कि आरटीई के तहत आवेदन करने वाले परिवारों से बात करने से पता चला कि किस स्तर पर नाम रिजेक्ट हो जाते हैं उनको जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि इसमें कोई बड़े करप्शन की आशंका है. आपको बता दें कि राइट टू एजुकेशन यानी कि शिक्षा का अधिकार एक ऐसा कानून है, जिसके तहत निजी स्कूलों केा एक निश्चित संख्या में आर्थिक रूप से कमजोर तबके के बच्चों का एडमिशन लेना है.
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अपना संगठन नाम की संस्था ने सूचना अधिकार विभाग में आरटीआई डालकर इसकी जानकारी मांगी थी. अपना संगठन के सदस्य अल हसन ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि रांची जिले में 2019-2020 में आरटीई के तहत कुल 1679 आवेदन मिले थे. जिनमें से सिर्फ 188 छात्रों का ही एडमिशन दिया गया था. बाकी आवेदनों को रिजेक्ट कर दिया गया था.
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अल हसन ने कहा कि रांची में आरटीई के तहत 713 सीटों में 525 सीटें खाली रह गईं. कुल आवेदनों में 89 फीसदी आवेदन रिजेक्ट कर दिए गए. इस सत्र में निजी स्कूलों में खली सीटों की संख्या लगभग 74 प्रतिशत रही. हसन ने कहा कि राज्य के कई जिलों में आरटीई के तहत आवेदन आए लेकिन लगभग 62 प्रतिशत आवेदन को रिजेक्ट कर दिया गया. उन्होंने कहा कि राज्य में राइट टू एजुकेशन फेल है.
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