रांची: रात 11 बजे के बाद थानों पर लटक जाते हैं ताले, पुलिसकर्मी हो जाते हैं कैद

Smart News Team, Last updated: Thu, 4th Feb 2021, 11:22 AM IST
  • रांची में रात 11 बजे के थानों के गेट पर ताला लटका दिया जाता है. लोगों की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों के कैद हो जाने के पीछे उनकी सुरक्षा का हवाला दिया जाता है. 
रांची मे रात 11 बजे के बाद थानों पर ताले लटक जाते हैं.

रांची. प्रिंस श्रीवास्तव. झारखंड की राजधानी रांची में अगर देर रात किसी दुर्घटना की शिकायत दर्ज कराने आपको थाने जाना है तो उसके लिए सुबह का इंतजार करें क्योंकि रांची के अधिकतर थानों में रात 11 बजे के बाद ताला लटक जाता है. पीड़ितों के पहुंचने पर काफी देर बाद पुलिसकर्मी थाने के अंदर से जवाब देते हैं कि बाबू नहीं हैं या बड़ा बाबू डेरा चले गए हैं. सुबह में आएंगे और उस समय आइएगा. वहीं अगर पीड़ित अपनी समस्या रखना चाहता है तो उसे अनुसना कर दिया जाता है और कई बार तो पुलिसकर्मी पीड़ितों को थाने से भगा देते हैं.

हिंदुस्तान की टीम ने मंगलवार की रात 11 बजे रांची में प्रमुख थानों की पड़ताल की जिसमें शुरुआत महिला थाने से की गई. थाने के मेन गेट पर बड़ा सा ताला लगा था जिसके बाद सात थानों की पड़ताल की गई. टीम देखकर अचंभित थी कि सभी थानों का गेट बंद मिला. 

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महिला थाने पर मंगलवार की रात साढ़े 11 बजे ताला लग गया था. काफी देर तक थाने के बाहर से आवाज दी गई लेकिन कोई नहीं आया. एक अंजान व्यक्ति वहां पहुंचा तो उसने कहा कि सुबह आइएगा अभी कोई नहीं मिलेगा. महिला थानेदार श्रीति कुमारी को फोन किया गया लेकिन उन्होनें भी कोई रिस्पांस नहीं दिया. 

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डेली मार्केट थाने का गेट रात 11.50 पर अंदर से बंद था. थाने में ना ओडी पदाधिकारी मौजूद थे और ना ही कोई कांस्टेबल थे. काफी देर आवाज देने के बाद भी कोई बाहर नहीं निकला. वहीं कुछ ही दूरी पर पुलिस के जवान वाहन चेकिंग कर रहे थे लेकिन थाने पर कोई मौजूद था या नहीं इस बात की जानकारी देने वाला कोई नहीं था. 

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लोहर बाजार थाने का गेट रात 12.15 पर पूरी तरह से बंद मिला. थाने के अंदर एक पुलिसकर्मी कुर्सी पर बैठा हुआ था. पुलिसकर्मी को आवाज दी तो वह थाने के गेट तक आया लेकिन बिना गेट खोले अंदर लौट गया. कई बार उस पुलिसकर्मी को आवाज दी गई लेकिन वह बाहर नहीं आया है.

वहीं पुलिसकर्मियों से थानों के गेट पर ताला लगाने की वजह पूछी गई तो उन्होनें सुरक्षा का हवाला दिया. लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी पीसीआर से पूरे शहर में गश्त करते हैं लेकिन वह पुलिसकर्मी थाने में ही सुरक्षित नहीं हैं. रात के समय पीड़ितों की अगर कोई शिकायत होती है तो उसे लिखकर थाने के अंदर रखे डब्बे में डाल दिया जाता है जिससे पुलिस सुबह उसपर ध्यान दे. 

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प्रभारी कोतवाली डीएसपी विकास लागुंरी ने इसपर कहा कि किसी भी थाने का गेट बंद नहीं होता है. थानेदार देर रात तक पूरे शहर में चेकिंग करते हैं और उन्हें ऐसा आदेश है. ऐसे में थाने का गेट बंद होना किसी भी तरह से संभव नहीं है क्योंकि थानेदार सड़कों पर गश्त के लिए गया हैं. वहीं उनका कहना है कि अगर गेट बंद हो रहे हैं तो यह गंभीर मामला है. 

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