झारखंड DGP को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, दो हफ्ते में जवाब देने का निर्देश
- झारखंड डीजीपी नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ना मानने और अवमानना करने के मामले में नोटिस जारी. सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड डीजीपी नीरज सिन्हा को नोटिस जारी किया.

रांची. झारखंड डीजीपी की नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मानने के मामले में एससी ने शुक्रवार को सुनवाई की. सुप्रीम कोर्च न अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते में डीजीपी को अपना पक्ष रखने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि डीजीपी नियुक्ति का मामला जब कोर्ट में लंबित था तो पुलिस आयुक्त नीरज सिन्हा की नियुक्ति कैसे हुई. कोर्ट ने इस मामले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि झारखंड सरकार और यूपीएससी के खिलाफ सख्त आदेश पारित करने की आवश्यकता है. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई दो सप्ताह के बाद होगी.
सुप्रीम कोर्ट अवमानना याचिका दाखिल करने वाले राजेश कुमार की तरफ से पक्ष रखने वाले वकील मुकुल रोहतगी ने सुनवाई के दौरान कहा कि झारखंड सरकार ने डीजीपी नियुक्ति में एससी के आदेशों का पालन नहीं किया है. अवमानना याचिका दाखिल करने वाले पक्ष ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले एमवी राव को झारखंड का प्रभारी डीजीपी बनाया और फिर उन्हें हटाकर नीरज सिन्हा को डीजीपी बना दिया. इसके बाद कुछ दिनों में ही राज्य सरकार ने नीरज सिन्हा की स्थाई नियुक्ति डीजीपी पद पर कर दी.
सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद डीजीपी नीरज सिन्हा को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया है. इसी के साथ झारखंड सरकार का पक्ष रखने मौजूद वकील कपिल सिब्बल से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब मामाल कोर्ट में था तो सरकार की तरफ से इस तरह से नियुक्ति क्यों की गई. याचिका दाखिल करने वाले राजेश कुमार ने बताया कि यूपीएससी ने जुलाई 2020 में वरीय पुलिस अधिकारियों का पैनल झारखंड सरकार को भेजा था जिससे डीजीपी का चयन किया जाना था. इसी के साथ यूपीएससी ने राज्य सरकार से पूर्व डीजीपी केएन चौबे को हटाने की वजह पूछी थी.
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