विडंबना: आजादी के 74 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा रांची से सटा यह इलाका
- रांची से महज 33 किलोमीटर दूर कांके प्रखंड के ग्राम राहड़ा, सुतियांबे और मदनपुर के लोग देश की आजादी के 74 साल बाद भी स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं. आलम यह है कि पंचायत के 10 किलोमीटर के दायरे में कोई स्वास्थ्य केन्द्र नहीं है.
रांची. हमारा हिन्दुस्तान आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. लेकिन राजधानी रांची से महज 33 किलोमीटर दूर राड़हा पंचायत का धनकचरा टोला अब भी बुनियादी सुविधाओं से महरूम है. दरअसल, कांके प्रखंड के राहड़ा पंचायत में तीन राजस्व ग्राम राहड़ा, सुतियांबे और मदनपुर है. 22 टोला में बंटें इस गांव की 90 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है. हालात इतने बदतर हैं कि धनकचरा टोला में न तो कोई नल लगा है और न ही कोई कुआं बनवाया गया.
यहां के ग्रामीण अपनी प्यास बुझाने के लिए लकारी नदी के किनारे खोदे गए डोभा पर निर्भर हैं. वहीं मोड़हा, बलवापानी, जोरदाग, तीरबेड़ा नगड़ी, जारा टोला में एक चापानल तक नसीब नहीं है. ग्रामीण बताते हैं कि मई-जून में जब नदी का पानी सूख जाता है, तब डोभा भी सूख जाता है. इस टोला के लोग प्यास बुझाने के लिए लकारी नदी पारकर एक किमी दूर स्थित रामगढ़ के पतरातू प्रखंड के तालाटांड़ गांव के सरकारी स्कूल में लगाए गए चापानल से पानी लाते हैं. इस तरह मई माह से सितंबर माह तक किसी तरह काम चल जाता है. लेकिन बरसात में नदी का पानी पीने लायक नहीं रह जाता है.
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वहीं शिक्षा का भी हाल बदहाल है. राहड़ा गांव की ज्यादातर लड़कियां 10वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद पढ़ाई नहीं कर पाती हैं. पिठोरिया स्थित राजकीयकृत उत्क्रमित उच्च विधालय में 10वीं तक पढ़ाई होती है. इस स्कूल के 13 किलोमीटर के दायरे में कोई भी प्लस टू स्कूल नहीं है. इसी तरह स्वास्थ्य सुविधा का भी हाल बेहाल है. राहड़ा पंचायत के राजस्व ग्राम राहड़ा, सुतियांबे और मदनपुर में स्वास्थ्य सुविधा नहीं है. राहड़ा गांव से लगभग 10 किमी की दूरी पर पिठोरिया चौक स्थित उप स्वास्थ्य केन्द्र है. इस उप स्वास्थ्य केन्द्र में मामूली बुखार का उपचार होता है.
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