मुखिया, जिला पंचायत समिति प्रमुख 6 महीने और अपने पद पर बने रहेंगे

Smart News Team, Last updated: Fri, 8th Jan 2021, 3:10 PM IST
  • तीन स्तरों की पंचायती राज संस्थाओं निर्वाचित प्रबंधन की जगह उपायुक्त की ओर से गठित होने वाली कार्यकारी समिति लेगी. यहां 6 महीने तक पंचायती राज निकायों के कामकाज संभालेगी. समिति में कुछ सरकारी पदाधिकारी भी सदस्य होंगे.
पचायत समिति चुनाव.

रांची: झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायती राज का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी वर्तमान मुखिया अगले छह माह या अगले चुनाव तक पंचायतों के प्रधान बने रहेंगे. उनका पदनाम प्रधान कार्यकारी समिति ग्राम पंचायत रहेगा. हालांकि निर्वाचित ग्राम पंचायतों का विघटन कर दिया जाएगा. उस स्थान पर गठित होने वाली कार्यकारी समिति के अध्यक्ष विघटन से मुखिया रहे व्यक्ति होंगे. पंचायत समिति और जिला परिषदों के विघटन के बाद भी यही व्यवस्था रहेगी. पंचायती राज का कार्यकाल समाप्त होने के बाद राज्य सरकार ने फैसला लिया है. 

ग्रामीण विकास विभाग ने विघटन की अधिसूचना जारी कर दी है. साथ ही पंचायती राज निदेशक आदित्य रंजन ने विघटित निकायों का स्थान लेने वाली सरकारी समिति के गठन प्रक्रिया के बारे में जिलों को जानकारी दी है. इन तीन स्तरों की पंचायती राज संस्थाओं निर्वाचित प्रबंधन की जगह उपायुक्त की ओर से गठित होने वाली कार्यकारी समिति लेगी. यहां 6 महीने तक पंचायती राज निकायों के कामकाज संभालेगी समिति में कुछ सरकारी पदाधिकारी भी सदस्य होंगे. उन्हें मतदान का अधिकार नहीं होगा. वित्तीय अनियमितता रोककर उपायुक्त के संज्ञान में लाना इनका काम होगा.

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पहले की तरह मिलेंगी सभी सुविधाएं :

मुखिया, प्रमुख, जिला परिषद अध्यक्ष और गैर सरकारी सदस्यों को पहले की तरह सुविधाएं और भत्ते मिलते रहेंगे, ग्रामीण विकास विभाग समय-समय पर समितियों के संचालन के लिए दिशानिर्देश जारी करेगा.

ग्राम पंचायत समिति :

अध्यक्ष: पंचायत के मुखिया

सदस्य: सभी वार्ड सदस्य, प्रखंड

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पंचायत राज पदाधिकारी, पंचायत स्वशासन परिषद, समन्वयक सीओ, बीडीओ द्वारा नामित कम से कम तृतीय वर्गीय सरकारी कर्मचारी से सेवानिवृत व्यक्ति होंगे.

जिप की कार्यकारी कमेटी :

अध्यक्ष: जिला परिषद् के अध्यक्ष

सदस्य: विघटित जिला परिषद् के सभी निर्वाचित सदस्य, जिला परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी के अलावा डीआरडीए के निदेशक और परियोजना निदेशक तथा आईटीडीए इसमें शामिल होंगे.

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